आजादी के अमृत महोत्सव के तहत प्रशासनिक अधिकारियों ने पेश किए कलाम और कविताएं

भोपाल । मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग द्वारा इजहार/ अभिव्यक्ति शीर्षक से आॅनलाइन मुशायरे/कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का लाइव प्रसारण मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी के फेसबुक पेज और यूट्यूब चैनल पर किया गया। इस कार्यक्रम में देश प्रदेश के कुछ जाने माने प्रशासनिक अधिकारी, जो कवि/शायर भी हैं, ने अपना काव्यपाठ प्रस्तुत किया। उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ नुसरत मेहदी ने उक्त कार्यक्रम के आयोजन का उद्देश्य बताते हुए कहा कि देश की आजादी के अमृत महोत्सव में जहां हर वर्ग अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति किसी न किसी माध्यम से कर रहा है तो हमारे वह प्रशासनिक अधिकारी जो साहित्य/काव्य सेवा में भी संलग्न हैं और देश सेवा के साथ साथ रचनात्मक कार्य भी कर रहे हैं, उनको भी देश की आजादी के अमृत महोत्सव में अपने विचार रखने का हक है।
यारों की बातें चल निकलें दिन छोटा पड़ जाए...
इस अवसर पर जिन शायरो/कवियों ने काव्यपाठ किया उनके नाम और कलाम इस प्रकार है... आनंद कुमार शर्मा ने यारों की बातें चल निकलें दिन छोटा पड़ जाए , यादों की चुनरी ओढ़े मन बाराती हो जाए ...., डॉ अखिलेश मिश्रा ने मैं सिकुड़ के भी जनाजे में सो जाऊंगा, है कफन की बढ़ी बाजार में कीमत यारों....., वहीं मुजफ्फर अब्दाली ने आज दीवानों की कीमत में उछाल आया है, आज बाजार में मगरूर खड़े हैं हम भी...... सुनाई।
तो इसमें डूब के अपना बचाओ करते रहो....
फैयाज फारूकी ने यह दरिया तैरने वालों को मार देता है, तो इसमें डूब के अपना बचाओ करते रहो......, नीरज वशिष्ठ ने क्या हो गया है मिरे देश को, मिरा देश जो खोजता है अपने को, देखता है अपने को तलाशता हुआ, कहीं अपनी खोती हुई पहचान को.... सुनाई। अजय सहाब ने सीखा इसी से दर्द ये हिन्दोस्तान का , बचपन से मुझ पे कर्ज है उर्दू जबान का, बाजार में भी कह गया मेयार पर गजल सुनाकर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।
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