कूनो नेशनल पार्क के खुले जंगल में छोड़े गए अफ्रीकी चीते, एक मादा और दो नर के साथ अब संख्या छह हुई

कूनो नेशनल पार्क के खुले जंगल में छोड़े गए अफ्रीकी चीते, एक मादा और दो नर के साथ अब संख्या छह हुई
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भोपाल : कूनो नेशनल पार्क के बाड़े में बंद तीन और चीतों को 19 मई की शाम को खुले जंगल में छोड़ा गया। बता दें कि 18 फरवरी को कूनो नेशनल पार्क में दूसरे चरण के तहत दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाए गए थे। जिन्हे 19 मई को खुले जंगल में छोड़ा गया। कूनो पार्क के प्रबंधन ने 30 अप्रैल को चीता टास्क फोर्स की बैठक बुलाई थी। जिसमे इस बात का फैसला लिया गया कि तीन मादा और दो नर सहित कुल पांच चीतों को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा, जिसके तहत इन चीतों को खुले जंगल में आजाद किया गया । इन चीतों में मादा चीता गामिनी, नर चीते वायु और अग्नि का नाम शामिल हैं। अब खुले जंगल में चीतों की संख्या छह हो गई है।

आशा-पवन निकले सीमा पार

अब तक चार चीतों को कूनो नेशनल पार्क के खुले जंगल में छोड़ा गया है। दो नर चीते गौरव और शौर्य पार्क में ही रहे। उन्होंने नए इलाकों में जाने में कोई रुचि नहीं दिखाई। वहीं, नर चीता पवन और मादा चीता आशा दो बार कूनो से बाहर निकल चुके हैं। पवन को तो दो बार ट्रैंकुलाइज कर दोबारा पार्क में लाना पड़ा। सभी चीतों को सैटेलाइट कॉलर लगी है और उनकी लोकेशन को दिन में दो बार ट्रेस किया जाता है। जरूरत पड़ने पर इससे अधिक बार भी लोकेशन ली जाती है। रोटेटिंग शिफ्ट के आधार पर 24 घंटे निगरानी टीमें चीतों से निश्चित दूरी पर रहती हैं। इन टीमों को ही शिकार सहित व्यवहार से जुड़ी अन्य जानकारियों को रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। रिपोर्ट कहती है कि सभी चीते अच्छी शारीरिक स्थिति में है। नियमित रूप से शिकार कर रहे हैं और सामान्य बर्ताव कर रहे हैं।

अब तक दो चीतों की हो चुकी है मौत

इसके साथ ही अब तक दो चीतों- साशा और उदय की मौत हो चुकी है। नामीबिया से लाई गई साशा चीता को किडनी की बीमारी थी। वहीं, दक्षिण अफ्रीका से लाए गए उदय चीता की 23 अप्रैल को मौत हो गई थी। ब्लड रिपोर्ट कहती है कि उसकी मौत किसी संक्रामक रोग की वजह से नहीं हुई। इस वजह से अन्य चीतों में बीमारी फैलने की आशंका नहीं है। देश से विलुफत होते चीतों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के अवसर पर पहले चरण के रूप में 17 सितंबर को नामीबिया से लाए गए 8 चीतों (5 मादा और 3 नर) को श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था।

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