हाउसिंग सोसायटी में आवंटन के बाद दूसरे के नाम करा दी प्लॉट की रजिस्ट्री

हाउसिंग सोसायटी में आवंटन के बाद दूसरे के नाम करा दी प्लॉट की रजिस्ट्री
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राजधानी में हाउसिंग सोसायटी के ऐसे सैकड़ों मामले हैं, जहां निर्णय तो सदस्यों के पक्ष में हुए, लेकिन उन्हें अब तक कब्जा नहीं मिल सका। कारण है कि जिन सोसायटियों में विवाद है, उन पर आज दूसरे लोग काबिज हैं। पीड़ित सिर्फ जमा की हुई पर्ची और दस्तावेज लेकर ही भटक रहे हैं।

रजिस्ट्री नहीं हुई निरस्त, जांच रिपोर्ट पर उठे सवाल

भोपाल। राजधानी में हाउसिंग सोसायटी के ऐसे सैकड़ों मामले हैं, जहां निर्णय तो सदस्यों के पक्ष में हुए, लेकिन उन्हें अब तक कब्जा नहीं मिल सका। कारण है कि जिन सोसायटियों में विवाद है, उन पर आज दूसरे लोग काबिज हैं। पीड़ित सिर्फ जमा की हुई पर्ची और दस्तावेज लेकर ही भटक रहे हैं।

प्रदेश में सहकारिता माफिया के खिलाफ अभियान चलाया गया था। उस समय सामने आया था कि जिले में रजिस्टर्ड 581 गृह निर्माण सोसायटियों में से मात्र 200 के करीब सोसायटी ऐसी थीं जो ठीक काम कर रही हैं। बाकी में कहीं न कहीं किसी पूर्व सदस्य के साथ फर्जीवाड़ा हुआ है, किसी में कम तो किसी में ज्यादा शिकायतें आईं। 327 शिकायतों में से 30 फीसदी शिकायतों का निराकरण भी सहकारिता विभाग नहीं कर पाया।

इन सोसायटियों में हुई गड़बड़ी

ॅहाउसिंग सोसायटियों में सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा जिन सोसायटियों में हुआ उनमें कामधेनू, सर्वोदय, रोहित, स्वजन, सौरभ, हजरत निजामुद्दीन, सर्वधर्म, कान्हा, शिव, अपैक्स बैंक, विकास कुंज, गुलाबीनगर, निशातपुरा, लावण्य गुरुकुल, पल्लवी, राजहर्ष, नर्मदा, पुष्प विहार, अमलताश, मंदाकिनी सहित कई सोसायटी हैं। जिनके पीड़ित आज भी सहकारिता विभाग के चक्कर काट रहे हैं।

एफआईआर भी हुई

कई सोसायटियों में तो बिल्डरों के साथ मिलकर हाउसिंग सोसायटियों की राशि ही ट्रांसफर कर दी गई। यह राशि सहकारिता माफिया ने अपनों के खाते में ट्रांसफर कराई। इसका खुलासा भी हुआ, लेकिन महज एफआईआर के मामला आगे नहीं बढ़ सका। ऐसे एक-दो नहीं कई मामले सामने आ चुके हैं।

शिकायतों पर होती ह कार्रवाई

शिकायतों पर कार्रवाई होती है। कई लोगों को प्लॉट भी दिए गए हैं। अभी भी जिन लोगों की शिकायतें आती हैं, उनका निराकरण गंभीरता पूर्वक कराया जाता है।

विनोद सिंह, उपायुक्त सहकारिता

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