MP NEWS: नरसिंगपुर और बुरहानपुर के बाद इस गांव के गामीणों ने किया चुनाव बहिष्कार, मूलभूत सुविधाओं से आज भी लोग वंचित

रायसेन ; मध्य प्रदेश में चुनाव को लेकर लगातार कांग्रेस और बीजेपी सहित अन्य पार्टी प्रदेश का दौरा कर जनता को रिझाने का प्रयास कर रहे है। तो वही दूसरी तरफ ग्रामीण भी लगातार चुनाव को लेकर बहिष्कार करने की तैयारी में है। बता दें कि पहले ही मूलभूत सुविधा नहीं मिलने के चलते नरसिंगपुर और बुरहानपुर के ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार करने का एलान कर दिया है। तो वही इसी कड़ी में अब रायसेन का नाम भी शामिल हो गया है। भोजपुर विधानसभा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत रतनपुर में तीन गांव ऐसे है। जहां आजादी से लेकर आज तक ग्रामीणों को मूलभूत सुविधा नहीं मिली। जिसके चलते ग्रामीणों ने मत का इस्तेमाल नहीं करने का फैसला लिया है।
गांव में बिजली और सड़क सुविधाओं का अभाव
मिली जानकारी के अनुसार डूडादेह, डगडागा और पंजझिरपा तीन ऐसे गांव है। जहां न तो आज तक सड़क बन पाई न ही बिजली पहुंच पाई। जिसकी वजह से ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं मूलभूत सुविधा नहीं होने के चलते बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हुई है,और सड़क नहीं होने के चलते बीमार मरीजों को बेहतर उपचार नहीं मिल पता। जिसके चलते कोई बार लोगों कीमौत भी हो चुकी है। जिनमे गर्भवती महिला भी शामिल है। इस वजह से ग्रामीणों का कहना है कि जब बिना सुविधा के हमारा जीवन बीत रहा है तो हम अपने मत का उपयोग क्यों करे।
इन गांव के ग्रामीण सोलर लाइट के सहारे
इन गांव के ग्रामीण सोलर लाइट के सहारे हैं, जो कुछ घरों में लगी हुई है। जिससे उनका गुजर बसर हो जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि मदद के लिए कोई बार अधिकारियों से गुहार लगाई। लेकिन इसके बाद भी उनकी मदद के लिए कई कदम नहीं उठाया गया। इसके साथ ही ग्रामीणों ने आगे कहा कि सुरेंद्र पटवा 15 वर्षों से विधायक हैं और मंत्री भी रहे। लेकिन आज तक सुरेंद्र पटवा इन गांव में नहीं आए। जिससे ना हमने उन्हें देखा और ना उन्होंने इन गांवों को देखा।
मतदान को लेकर ग्रामीणों ने की ये मांग
इसलिए इस बार ग्रामीणों ने यह फैसला लिया है कि जो मंत्री सड़क और बिजली देगी उन्हें ही वोट दिया जाएगा। नहीं तो गांव के ग्रामीण अपने मतदान का उपयोग नहीं करेंगे। बता दें कि इस गांव में करीबन 570 मतदाता हैं। अगर सभी ने विधानसभा चुनाव में वोट नहीं दिया तो इस बार बीजेपी और कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों की मुश्किलें बढ़ जाएगी। अब देखना ये है कि ग्रामीणों के आंदोलन का चुनावी साल में उन्हें कितना फायदा मिलता है।
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