एम्स: 10 साल बाद भी फैकल्टी के 101 पद खाली

भोपाल। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल को शुरू हुए 10 साल हो चुके हैं, लेकिन यहां पर फैकल्टी के अभी भी 30 प्रतिशत पद खाली हैं। चार बार की भर्ती प्रक्रिया के बावजूद कुल 305 पदों में 204 ही भर पाए हैं। 101 पद खाली पड़े है। हालत यह है कि हृदय रोग जैसे अहम विभाग में भी कोई विशेषज्ञ नहीं है। यहां एकमात्र चिकित्सक एक साल की पढ़ाई करने के लिए त्याग-पत्र देकर चले गए हैं। उसके बाद संविदा पर हृदय रोग विशेषज्ञ की भर्ती के लिए चार बार साक्षात्कार आयोजित किए गए, लेकिन कोई चिकित्सक नहीं मिला है। इसी तरह से उदर रोग विभाग में भी कोई विशेषज्ञ नहीं है। न्यूरोलाजी विभाग में सिर्फ दो विशेषज्ञ हैं। उनमें एक संविदा पर हैं। फैकल्टी की कमी की वजह से मरीजों के इलाज में परेशानी तो हो ही रही है। ओपीडी, भर्ती, सर्जरी हर जगह मरीजों को इंतजार करना पड़ता है।
- सीनियर व जूनियर रेसिडेंट के 50-50 पद बढ़े
एम्स में भर्ती मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही सीनियर रेसीडेंट (एसआर) और जूनियर रेसीडेंट (जेआर) के 50-50 पद बढ़ाए गए हैं। सभी पद भरने के बाद फायदा यह होगा कि ओपीडी, भर्ती और आपरेशन थिएटर में मरीजों के इलाज में सुविधा हो जाएगी। एम्स में फैकल्टी के पद पद बढ़ाने का प्रस्ताव भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के पास विचाराधीन है।
- डॉक्टरों की कमी से यह हो रही दिक्कत
- मेडिकल कालेजों में किडनी ट्रांसप्लांट शुरू हो चुका है, लेकिन एम्स में अभी तक किडनी व लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं है।
- अभी ओपीडी में हर दिन करीब 2500 मरीज ही रोज देखे जा रहे हैं। सभी फैकल्टी आने के बाद पांच हजार मरीज हर दिन देखे जा सकेंगे।
- शाम की ओपीडी शुरू करने की तैयारी है, लेकिन फैकल्टी कम होने की वजह से यह काम नहीं हो पा रहा है।
- सर्जिकल विभागों में डाक्टर कम होने की वजह से मरीजों को सर्जरी के लिए इंतजार करना पड़ता है।
- पद बढ़ाने की चल रही तैयारी
एम्स के गैर सर्जरी सुपरस्पेशियलिटी विभाग जैसे न्यूरोलाजी, गैस्ट्रोएंट्रोलाजी, आंकोलाजी, किडनी रोग आदि में सहायक प्राध्यापक, सह प्राध्यापक, अतिरिक्त प्राध्यापक और प्राध्यापक के एक-एक पद ही हैं। सर्जरी वाले सुपरस्पेशियलिटी विभाग जैसे गैस्ट्रो सर्जरी, न्यूरोसर्जरी, बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी, कार्डियक सर्जरी में सभी के दो-दो पद हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा पद बढ़ाने की तैयारी चल रही है।
डॉ मनीषा श्रीवास्तव, अधीक्षक, एम्स
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