MP Election 2023 : मप्र विस में अखिलेश उतार सकते हैं अपने 50 प्रत्याशी

MP Election 2023 : मप्र विस में अखिलेश उतार सकते हैं अपने 50 प्रत्याशी
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मप्र के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और सपा अलग-अलग चुनाव लड़ने जा रहे हैं। ‘इंडिया’ गठबंधन के बनने के बाद ऐसा लग रहा था कि यह दोनों पार्टियां वोटों का बंटवारा रोकने के लिए चुनावी समझौता कर सकती है।

भोपाल। मप्र के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और सपा अलग-अलग चुनाव लड़ने जा रहे हैं। ‘इंडिया’ गठबंधन के बनने के बाद ऐसा लग रहा था कि यह दोनों पार्टियां वोटों का बंटवारा रोकने के लिए चुनावी समझौता कर सकती है। चुनावी समझौता तो नहीं हुआ लेकिन इन दोनों पार्टियों के बीच तल्खी इतनी बढ़ गई कि राहुल गांधी को अखिलेश यादव को फोन करना पड़ा। सूत्रों के अनुसार राहुल और अखिलेश की बात के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनावों के लिए है ना कि राज्यों के चुनावों के लिए। लेकिन दोनों पार्टियों के नेताओं को एक-दूसरे के लिए ऐसी भाषा का प्रयोग करने से बचना चाहिए जो आपस में तल्खी पैदा करे और बीजेपी को हमले करने के अवसर दे। अब कांग्रेस और सपा दोनों ही मप्र सहित किसी भी राज्य के चुनाव में किसी तरह की सीट शेयरिंग पर बात नहीं करने जा रहे हैं। पांच राज्यों के चुनाव परिणामों के बाद जब देश में आम चुनावों की तैयारी शुरू हो जाएंगी तब यह दोनों पार्टियां एक दूसरे से लोकसभा चुनावों पर चर्चा करेंगी।

सपा अब मप्र के चुनावों को लेकर गंभीर हो गई है। करीब 33 सीटें ऐसी हैं जहां सपा ने अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। इस विवाद के बाद सपा अपनी प्रत्याशियों की संख्या बढ़ाने जा रही है। 50 ऐसी सीटें हो सकती हैं जहां से सपा अपने उम्मीदवार खड़े करे। जानकार यह बात कहते हैं कि सपा इतनी सीटों पर अपना प्रभाव नहीं रखती है लेकिन इस विवाद के बाद वह जरूर अपनी राजनीतिक ताकत दिखाना चाहेगी। गठबंधन ना बन पाने की यह रहीं वजहें: सपा और कांग्रेस का गठबंधन बनते-बनते रह गया। सीटों को लेकर यह बातचीत कमलनाथ और दिग्विजिय के स्तर पर तक पहुंच गई थी। कांग्रेस के मप्र प्रभारी रणदीप सुरजेवाला और सपा नेता राम गोपाल वर्मा के बीच भी कई स्तर की बातचीत हुई थी। बावजूद इसके यह गठबंधन नहीं बन सका। इसकी तीन प्रमुख वजहें सामने आईं।

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