विधायकों पर आरोप - छेड़छाड़ मामले में जीआरपी के ठिठके कदम

भोपाल - रेवांचल एक्सप्रेस छेड़छाड़ कांड में जीआरपी की जांच पर सवाल उठे हैं। हाईप्रोफाइल मामले में जीआरपी के अधिकारियों के कदम ठिठके नजर आए हैं। जीआरपी के 4 जवानों को झांसा देकर विधायक विदिशा से भी उतर गए। जवानों के सामने विधायकों ने बाथरूम जाने का बहाना बनाया और मौके देखकर निकल गए। जबकि महिला के बार-बार कहने पर भी जीआरपी ने मेडिकल कराने की जहमत नहीं उठाई। वहीं भोपाल पहुंचने पर भी पूछताछ के लिए विधायकों को नहीं बुलाया है। जबकि छेड़छाड़ का मामला दर्ज होने के बाद फौरन ही विधायकों को मेडिकल कराया जाना था।
सूत्रों का कहना है कि इस मामले में जीआरपी के दो एसपी रैंक के अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है। जीआरपी के जवानों को सिर्फमहिला की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई थी, जबकि जीआरपी को सागर में ही उतराकर विधायकों का मेडिकल कराना था। कई ऐसी शिकायतों में यात्रियों को पहले भी सफर के दौरान उतरकर मेडिकल कराया गया है लेकिन इस मामले में जीआरपी ने विधायकों पर सख्त नहीं की। नतीजा रहा है कि पुलिस के जवानों के रहते विधायक आसानी से ट्रेन से उतरकर निकल गए। इसमें जवानों की ढील देना बड़ी वजह भी है। जिसके चलते महिला की शिकायत पर जीआरपी ने लापरवाही बरती है। जानकारों का कहना है कि निर्भया कांड के बाद पुलिस को सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्देश हैं कि महिला की शिकायत व आरोप की जांच होनी चाहिए। इस लिहाज से विधायकों की मेडिकल कराने की जिम्मेदारी जीआरपी की थी। महिला की शिकायत के बाद 4 एक की गार्ड भेजी गई थी। रात से सुबह होने तक जवान विधायक और महिला के बर्थ के पास ही खड़े थे। जीआरपी की जिम्मेदारी यह भी थी कि जिस पर आरोप लगे हैं। उन्हें भी हिरासत में लिया जाए और बयान दर्ज कराया जाए। इसके बाद गिरफ्तारी होनी थी लेकिन जीआरपी ने प्रोसीजर ही नहीं फालो किया। रात के समय भी जवानों को अधिकारियों को निर्देश मिलते रहे। सवाल यह है कि महिला सुरक्षा का दावा करने वाले अधिकारी विधायकों को ही बचाने की जिम्मेदारी निभाई।
गाज गिरना तय, स्पेशल डीजी ने मांगी रिपोर्ट
- जीआरपी के सूत्रों का कहना है कि इस मामले की जांच कराने का फैसला स्पेशल डीजी सुधीर कुमार शाही ने किया है। जवानों की लापरवाही की जानकारी मिलते ही भोपाल और जबलपुर एसआरपी को तलब किया जा सकता है। क्योंकि इस मामले की निगरानी दोनों ही अफसर कर रहे थे। इस मामले में जीआरपी की मौजूदगी के बाद भी विधायकों के आसानी से निकल जाना। अफसरों के बिना निर्देश संभंव नहीं है। माना जा रहा है कि इस मामले में अधिकारियों पर गाज गिरना तय है।
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