विपक्ष के भारी हंगामें के बीच विधानसभा का बजट सत्र 9 दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, 13 बैठकों में से 8 बैठक ही हुई

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र 9 दिन पहले ही समाप्त हो गया। बुधवार को हंगामे के बीच प्रदेश सरकार का वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट बिना चर्चा के लिए पारित कर दिया गया। इस दौरान शासकीय विधेयकों पर भी सदन की मोहर लग गई । विपक्ष ने सरकार पर जनहित मुद्दों पर चर्चा नहीं करा पलायन करने का आरोप लगाया,तो सरकार ने स्पष्ट किया कि विपक्ष की सहमति से ही सत्र का अवसान करने का निर्णय लिया गया है। कांग्रेस ने विधायक जीतू पटवारी को नोटिस दिए जाने के मुद्दे पर विरोध जताते हुए सदन का वर्हिगमन किया ।
विधानसभा म्नकाल समाप्त होते हुए संसदीय कार्यमंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा ने आसंदी से आग्रह किया कि नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ और मुख्यसचेतक डा.गोविन्द सिंह से चर्चा हो चुकी है,इसलिए सभी नियमों को शिथिल करते हुए विधानसभा की कार्यसूची में लाए प्रस्तावों को आज ही मंजूर कर दिए जाए। उन्होंने कहा बजट पर पांच घंटे की चर्चा पहले हो चुकी है। ये सुनते ही सदन में कांग्रेसी विधायकों ने हंगामा शुरु कर दिया और सरकार पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया। कुछ कांग्रेसी विधायक आसंदी के पास पहुंच गए और नारेबाजी करने लगे। विधायक सुरेश राजे और मनोज चावला आसंदी के सामने लेट गए। इस पर डा. मिश्रा ने कांग्रेस सदस्यों से कहा कि वे पहले अपने नेताओं से बात करें,अगर वे कहेंगे तो सदन को चलाने में कोई दिक्कत नहीं है। विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने कहा सरकार बजट पर चर्चा नहीं कराना चाहती,इसलिए वह पलायन कर रही है।पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोत ने कहा कि सरकार सच का सामना करने से डर रही है। इसलिए बिना चर्चा के बजट पारित कर विधानसभा का सत्र स्थगित करा दिया। उन्होंने आरोप लगाया िक ये सरकार सिर्फ कर्ज लेकर प्रदेश को कंगाल कर रही है और जनता को कर्ज के बोझ से लाद रही है। उन्होंने कहा कि पिछले बजट की तमाम योजनाएं कागज से बाहर नहीं आ पाई थी, और इस बार भी वित्त मंत्री ने कागजी बजट बनाया है। हंगामे के बीच बजट पारित कर दिया गया,तो सभी ध्यानाकर्षण पढ़े माने गए । शोर-शराबे के बीच विधेयक भी पारित हुए। इसके बाद विधानसभाध्यक्ष गिरीश गौतम ने सदन की कार्रवाई अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी । इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी सदन में मौजूद रहे।
जीतू को नोटिस पर वॉकआउट
इससे पहले विधायक जीतू पटवारी को सोशल मीडिया पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल के अभिभाषण के बहिष्कार करने के मुद्दे पर नोटिस दिए जाने का मामले पर कांग्रेस ने विरोध जताया। डा.गोविन्द सिंह ने इस मुद्दे को उठाते हुए आसंदी से कहा कि ये नियमविरुद्ध नोटिस दिया गया है,ये सदस्यों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने मांग की कि आरोप लगाने वाले खेद व्यक्त करें। इसे संसदीय कार्यमंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा ने नकारते हुए स्पष्ट तौर पर कहा कि कोई भी खेद व्यक्त नहीं करेगा। इसके बाद कांग्रेस ने सदन का बर्हिगमन कर दिया। विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि नियम कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है। उन्होंने आसंदी से कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी।
25 मार्च तक चलना था सत्र
विधानसभा का बजट सत्र 7 मार्च को राज्यपाल मंगुभाई पटेल के अभिभाषण से शुरु हुआ था। लेकिन इसमें सत्ता और विपक्ष के बीच शुरु से ही गतिरोध की स्थिति बनी रही। 9 और 10 मार्च को सदन में चर्चा हुई। कुल 13 बैठकें होनी थी,किन्तु कांग्रेस के हंगामे के बीच विधानसभाध्यक्ष गिरीश गौतम ने निर्धारित समय से 9 दिन पहले ही सदन की कार्रवाई अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी। 25 मार्च तक चलना था,जिसमें कुल 13 बैठकें होनी थी। इस दौरान होली और रंगपंचमी का अवकाश भी होना था।
मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। सदन में विपक्षी दल के हंगामे के बीच वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट बिना चर्चा के पारित कर दिया गया। इस दौरान सभी शासकीय विधेयकों पर भी सदन की मोहर लग गई। विपक्ष ने सरकार पर जनहित के मुद्दों पर चर्चा नहीं कराते हुए पलायन करने का आरोप लगाया तो संसदीय कार्यमंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि विपक्ष अपने नेताओं से बात कर लें,हम सदन चलाने के लिए तैयार है।
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