मप्र में किसी भी समय हो सकती है पंचायत चुनाव की घोषणा

भोपाल। मप्र में करीब दो साल के देरी से होने वाले त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है। हाईकोर्ट के तीनों बेंच इंदौर, ग्वालियर व जबलपुर ने भी आरक्षण व परिसीमन पर कोई स्टे नहीं दिया है। निर्वाचन आयोग के निर्देश पर जिलों ने राज्य सरकार के एक्ट में किए गए संशोधन के अनुसार तैयारियां पूरी कर ली है। 14 दिसंबर को जिला पंचायतों के अध्यक्षाें के आरक्षण की प्रकि्रया पूरी होगी।
आरक्षण काे लेकर हाईकोर्ट में याचिका
पंचायत चुनाव को लेकर जबलपुर, इंदौर व ग्वालियर खंडपीठ में चुनाव से पहले आरक्षण व परिसीमन को लेकर कई याचिकाएं लगी हुई हैं, किंतु कोर्ट ने किसी भी मामले में स्टे नहीं दिया। हाईकोर्ट ने सरकार ने जवाब मांगा है कि इसके लिए किस तरह की प्रकि्रया अपनाई जा रही है और पारदर्शी प्रकि्रया के लिए किस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। जबकि जबलपुर में लगी एक याचिका पर जवाब के लिए सरकार ने समय मांग लिया। कोर्ट ने किसी भी मामले में स्टे नहीं दिया है। ऐसे में पूरी संभावना बन गई है कि दिसंबर में ही चुनाव की घोषणा कर दी जाए। सूत्राें ने बताया कि कोर्ट के रूख को देखते हुए निवार्चन आयोग भी सकि्रय हो गया। यह माना जा रहा है कि चुनाव की घोषणा के बाद कोर्ट उसे रोकने जैसे कोई आदेश जारी नहीं कर सकती। अभी चूंकि दो साल की देरी हो चुकी है। कई मामलों में कोर्ट की अवमानना तक हुई है। ऐसे में सरकार भी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती।
14 दिसंबर को जिला पंचायत अध्यक्षों का आरक्षण
मप्र पंचायत राज संचालनालय ने सभी कलेक्टर और जिला पंचायतों के सीईओ को पत्र लिखकर त्रि स्तरीय पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण की प्रक्रिया फिर से शुरू करने को कहा है। इसके लिए संचालनालय ने 14 दिसंबर का दिन तय किया है। इस पत्र में स्पष्ट किया गया है कि आरक्षण की प्रकि्रया पूरी कराएं, ताकि पंचायत चुनावों में बेवजह की देरी नहीं हो। जिला पंचायत अध्यक्ष पदों का आरक्षण न होने की वजह से देरी मानी जा रही है। इसके तहत मप्र पंचायत राज और ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 32 और पंचायत निर्वाचन नियम 1995 के तहत आरक्षण किया जाएगा।
संचालनालय ने यह दिया आदेश
भोपाल के जल एवं भूमि प्रबंध संस्थान वाल्मी में 14 दिसंबर को दोपहर 12.00 बजे से आरक्षण की प्रक्रिया शुरू होगी। आदेश में कहा गया है कि 14 दिसंबर को आरक्षण से पहले सभी कलेक्टर दफ्तरों और जिला पंचायत कार्यालय में सूचना लगाई जाएगी। आरक्षण प्रक्रिया के प्रचार-प्रसार और लॉटरी के दौरान मौजूद रहने वाले जनप्रतिनिधियों को कार्रवाई में शामिल होने के लिए कहा गया है। इससे तय हो गया है कि 14 दिसंबर को प्रदेश की 52 जिला पंचायतों में अध्यक्ष पद के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
पुरानी व्यवस्था के अनुसार ही कराए जाएंगे चुनाव
अभी पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में पुराने अधिनियम के अनुसार चुनाव कराए जाने को मंजूरी दी गई थी। ग्राम पंचायत राज स्वराज संशोधन अध्यादेश 2021 के तहत पंचायत के जो पूर्व में चुनाव हुए थे, उन्हीं के आधार पर सरपंच, पंच, जनपद पंचायत, जिला पंचायत के चुनाव कराए जाएंगे। राज्य सरकार ने पूर्व में हुए पंचायत चुनाव के परिसीमन को ही मान्य किया है। तत्कालीन कांग्रेस सरकार में हुए पंचायतों के परिसीमन को मौजूदा सरकार ने रद्द कर दिया था। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई है। किंतु किसी भी मामले में कोर्ट ने कोई भी स्टे नहीं दिया है।
23,835 सरपंचाें व 904 जिपं सदस्यों का होगा चुनाव
मप्र में कुल 23,835 ग्राम पंचायतों में सरपंचाें के चुनाव कराए जाने हैं। इसीतरह 904 जिला पंचायत सदस्याें और 6035 जनपद सदस्यों का चुनाव कराया जाना है। इससे पहले वर्ष 2014-15 में पंचायत चुनाव हुए थे। इसे नियमानुसार वर्ष 2019 तक में चुनाव करा लिया जाना चाहिए था, चूंकि वर्ष 2020 तक में उन पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो चुका है। किंतु दो साल बीतने के बाद भी अभी तक में चुनाव नहीं कराए जा सके हैं। इसीतरह नगरीय निकायों का चुनाव भी लगातार टलता आ रहा है। अभी हालांकि इसके लिए कोर्ट में मामला विचाराधीन है।
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