MP CHEETAH DEAD: मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को लगा एक और बड़ा झटका, कूनो में मादा चीता तब्लीशी की हुई मौत

MP CHEETAH DEAD: मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को लगा एक और बड़ा झटका, कूनो में मादा चीता तब्लीशी की हुई मौत
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प्रदेश में चीतों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम ही नहीं ले रहा। हाल ही में कूनो नेशनल पार्क में एक और मादा चीते तब्लीशी की मौत की दर्दनाक खबर सामने आई है। जिसकी लाश बाड़े में मिली है।

श्योपुर: मध्यप्रदेश में लगातार हो रहे चीतों की मौत से प्रशासन की चिंता बढ़ते ही जा रही हैं। प्रदेश में अभी तक 6 चीते और 3 शावकों की जान चली गई । जिसको लेकर पिछले महीने पीएम मोदी ने हाई लेवल मीटिंग भी की थी। लेकिन इसके भीप्रदेश में चीतों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम ही नहीं ले रहा। हाल ही में कूनो नेशनल पार्क में एक और मादा चीते तब्लीशी की मौत की दर्दनाक खबर सामने आई है। जिसकी लाश बाड़े में मिली है।प्रदेश में चीतों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम ही नहीं ले रहा। हाल ही में कूनो नेशनल पार्क में एक और मादा चीते तब्लीशी की मौत की दर्दनाक खबर सामने आई है। जिसकी लाश बाड़े में मिली है। फ़िलहाल मादा चीते की मौत किस वजह से हुई हैं. इसका पता नहीं चल पाया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही कारण का पता चल पाएगा।

कूनो में अब सिर्फ 14 चीते और एक शावक बचे हैं

कूनो में अब तक 6 चीते और 3 शावकों की मौत हो चुकी है। कूनो में अब सिर्फ 14 चीते और एक शावक बचे हैं। जिनका लागतार स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। कूनो वन्यप्राणी चिकित्सक टीम और नामीबियाई एक्सपट्र्स इनका विशेष ध्यान रख रहे हैं। इस संदर्भ का एक प्रेस नोट भी वन प्रबंधन की ओर से जारी किया गया है। इस प्रेस नोट के मुताबिक अब कूनो राष्ट्रीय उद्यान में 6 मादा, 7 नर और 1 मादा शावक बोमा (बाड़ा) में रखे गए हैं। ये सभी स्वस्थ हैं। उनका लगातार परीक्षण किया जा रहा है। इनका परीक्षण खुद कूनो वन्यप्राणी चिकित्सक टीम और नामीबियाई एक्सपर्ट के द्वारा किया जा रहा है।

पीएम मोदी ने अपने जन्मदिन पर दी थी चीतों की सौगात

बता दें कि पीएम मोदी ने 17 सितंबर 2022 को कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए आठ चीतों की सौगात को प्रदेशवासियों दी थी। तो वही 12 चीता दक्षिण अफ्रीका से लाए गए थे। ताकि दश में विलुप्त हो रही चीतों की प्रजाति को दोबारा भरता में वापस लाया जा सके। पीएम मोदी ने अपने जन्मदिन पर भारत को चीतों की सौगात दी थी। लेकिन एक साल के अंदर चीतों की मौत की वजह से "चीता प्रोजेक्ट "को लेकर अब कोई तरह के सवाल खड़े हो रही है।

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