महाराष्ट्र से सटे एमपी के जिलों में एटीएस को पीएफआई के संदिग्धों की तलाश - 3 राज्यों के कमांडर से पूछताछ में हुआ खुलासा - हर महीने 2 बैठकों में 3 हजार से अधिक सदस्यों को किया शामिल

महाराष्ट्र से सटे एमपी के जिलों में एटीएस को पीएफआई के संदिग्धों की तलाश - 3 राज्यों के कमांडर से पूछताछ में हुआ खुलासा - हर महीने 2 बैठकों में 3 हजार से अधिक सदस्यों को किया शामिल
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- मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में ब्रेनवाश करने का दिया था टारगेट, युवाओं के बाद महिलाओं को सदस्य बनाने की दी थी जिम्मेदारी

भोपाल - मध्यप्रदेश में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) और एंटी टेररिस्ट स्क्वााड(एटीएस) ने भले ही पीएफआई के सदस्यों की कमर तोड़ दी है लेकिन उनके मंसूबे साफ नहीं थे। यही वजह है कि अब एटीएस महाराष्ट्र से सटे जिलों में पीएफआई के संदिग्धों की तलाश कर रही है। मध्य प्रदेश के महाराष्ट्र से सटे बॉर्डर जिलों में लगातार सर्चिंग की जा रही है। 3 राज्यों की सफाई के कमांडर से पूछताछ में कई खुलासे हुए हैं। जिसमें एटीएस ने अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है।

जांच एजेंसी से जुड़े हुए सूत्रों का कहना है कि पीएफआई का मकसद शरिया कानून लागू कराना था। इसी के तहत मध्य प्रदेश में पढ़े-लिखे मुस्लिम वर्ग के युवाओं को सदस्य बनाया गया। जिसमें सबसे ज्यादा इंजीनियरिंग और टेक्निकल क्षेत्र के युवा थे। उन्हें समाज के कार्यकतार्ओं से मिलाने की जिम्मेदारी मध्यप्रदेश के पीएफआई के सेक्रेटरी और चीफ को दी गई थी। भोपाल, इंदौर उज्जैन, खंडवा सहित नौ जिलों में करीब 5 हजार से अधिक पीएफआई के सदस्य पिछले कई सालों में बनाए जा चुके थे। युवाओं के बाद महिलाओं को सदस्य बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी। इसमें मुस्लिम वर्ग की महिलाएं जो शासन या सरकार से पीड़ित थी। उन्हें सॉफ्ट टारगेट बनाया गया। यही वजह है कि एनआरसी कानून लागू होने के बाद प्रदेश में कई जगह प्रदर्शन भी हुए। विरोध प्रदर्शन को जारी रखने के लिए पीएफआई की तरफ से फंडिंग भी की गई। सूत्रों का कहना है कि नदवी के पास मध्य प्रदेश के सभी जिलों में मौजूद पीएफआई के सदस्यों की जानकारी हाथ लगी है। जिसके बाद एटीएस, खुफिया विभाग के साथ-साथ पुलिस के विशेष शाखा के जवानों के साथ सदस्यों की तलाश कर रहा है। माना जा रहा है कि आने वाले कुछ दिनों में बड़ी संख्या में पीएफआई के सदस्यों की गिरफ्तारी होगी। इसके सबूत भी एटीएस ने तैयार किए हैं।

नदवी के आदेश का था सदस्यों को इंतजार

- मध्यप्रदेश में हिंसा भड़काने में पीएफआई सफल रहा। खरगोन हिंसा के फौरन बाद ही बड़ी घटना को अंजाम देने की साजिश रची गई। सदस्यों को सिर्फ नदवी के आदेश का इंतजार था। इससे पहले ही एटीएस ने चार सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। जिसके बाद पीएफआई के सदस्यों में अफरा-तफरी मच गई। आम तौर पर काम करने वाले सदस्य अंडर ग्राउंड हो गए। जिसके बाद एटीएस को शक पुख्ता हो गया और दूसरी सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए 21 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। जिसमें से 12 लोगों को भी देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के मामले में रिमांड में लेकर पूछताछ की गई और अब उन्हें जुडिशल रिमांड पर कोर्ट जेल भेज दिया गया है।

ऐसे हुई मध्यप्रदेश में एनआईए की पीएफआई मामले में एंट्री

- बिहार के गया में बम ब्लास्ट मामले में पीएफआई का हाथ सामने आया।

- इस मामले की जांच एनआईए ने शुरू की और मध्य प्रदेश से 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

- इसके बाद लगातार पीएफआई के सदस्यों पर जांच एजेंसियां निगरानी रखती गई।

- एनआरसी और सीएए के विरोध में कई लोगों की गतिविधियों की जांच की गई।

- देश विरोधी गतिविधियां प्रदेश के कई जिलों में सामने आई।

- बांग्लादेशी आतंकी संगठन जेएमबी के आतंकियों की गिरफ्तारी हुई।

- अवैध रूप से घुसपैठ और स्थानीय स्तर पर मदद पीएफआई ने की थी।

- खरगोन दंगे से पहले ही पीएफआई के सदस्यों को फंडिंग की गई।

- कुछ दिनों तक मामला शांत रहा लेकिन बड़े हिंसा की भनक जांच एजेंसियों को लगी।

- जिसके बाद इंदौर और उज्जैन में छापेमारी कर चार लोगों को गिरफ्तार किया गया।

- भोपाल में भी एक आरोपी की गिरफ्तारी हुई।

- 4 पीएफआई के सदस्यों से एटीएस से पूछताछ की और दूसरी बार 21 लोगों को गिरफ्तार किया।

- इसके बाद महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले से नदवी को गिरफ्तार किया गया।

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