शासकीय ब्लड बैंकों में लगेंगी स्वचालित मशीनें, जांच के दौरान नहीं होगी गलती की गुंजाइश

भोपाल: ब्लड बैंकों में रक्तदान से मिलने वाले रक्त की सभी जांचें स्वचलित मशीनों से की जाएंगी, जिससे किसी तरह की गलती की गुंजाइश नहीं रहेगी। पहले चरण में भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज सहित प्रदेश के 37 सरकारी ब्लड बैंकों में यह सुविधा शुरू की जाएगी। बाद में अन्य 14 ब्लड बैंकों में भी यह सुविधा शुरू की जाएगी। इसके लिए निविदा की प्रक्रिया चल रही है। अगले साल मार्च-अप्रैल तक सुविधा शुरू होने की उम्मीद है। स्वचलित मशीनें लगाने के साथ ही रक्त के तत्व अलग करने के लिए 'कंपोनेंट सेपरेटर' मशीनें लगाई जाएंगी।
इसका लाभ यह होगा कि एक यूनिट रक्त से अलग-अलग जरूरत के तीन से चार मरीजों को अलग अलग तत्व चढ़ाए जा सकेंगे। रक्त के तत्व अलग करने की जरूरत इसलिए भी है कि प्रतिवर्ष जितने रक्त की जरूरत होती है, स्वैच्छिक रक्तदान से उतना नहीं मिल पाता। प्रदेश स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के अधिकारियों के अनुसार प्रदेश में हर वर्ष करीब आठ लाख यूनिट रक्त की जरूरत पड़ती है। कैंप और ब्लड बैंकों में स्वैच्छिक रक्तदान से करीब पांच लाख यूनिट रक्त ही मिल पा रहा है। ऐसे में बाकी मरीजों को खुद रक्तदाता खोज कर लाना पड़ता है। दूसरा लाभ यह है कि मरीज को जिस तत्व की जरूरत है, वही मिलेगा, पूरा रक्त नहीं चढ़ाना पड़ेगा।
रक्तदान से मिलने वाले रक्त की पांच जांचें की जाती हैं। इसमें एचआइवी, यौन संक्रामक रोग, मलेरिया, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी शामिल हैं। रक्त की जांच ठीक से नहीं की जाए तो रक्त चढ़ाने वाले मरीज में भी यह बीमारियां पहुंच सकती हैं। इसी कारण जांच के लिए स्वचलित मशीनें लगाई जा रही हैं, जिससे मानवीय गलती की आशंका नहीं रहेगी। इस काम में करीब 18 करोड़ रुपये खर्च होंगे। जांचों के लिए मरीज से वर्तमान की तरह 1050 रुपये ही शुल्क लिया जाएगा। बता दें कि प्रदेश के कुछ बड़े निजी ब्लड बैंकों में रक्त के तत्व अलग करने की सुविधा है। वह भी अधिकतम 1050 रुपये ही शुल्क ले सकते हैं, पर निजी ब्लड बैंक 1500 रुपये तक ले रहे हैं।
किस तत्व की क्या जरूरत
खून के तत्वों में सबसे ज्यादा आरबीसी की जरूरत पड़ती है। हीमोग्लोबिन कम होने पर इसे चढ़ाया जाता है। इसके अलावा ब्लड कैंसर, डेंगू आदि बीमारियों में प्लेटलेट की कमी हो जाती है। इसी तरह से पीलिया के मरीजों को प्लाज्मा की जरूरत पड़ती है। मशीन से इन्हें अलग कर अलग-अलग मरीज को चढ़ाया जा सकेगा।
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