बाबू जी आपको बहुत मिस कर रहे हैं हम लोग... ऐसे थे हमारे राज्यपाल लाल जी टंडन

भोपाल। बाबू जी आपको बहुत मिस कर रहे हैं हम लोग...। यह बात राजभवन के अधिकारियों व कर्मचारियों ने रुंधे गले से बताया। वे इतने सरल थे कि कोई भी कर्मचारी कभी भी उनके पास जाकर बात कर सकता था। उनसे अपनी समस्या बता सकता था। सरल इतने थे कि सभी को ऐसा लगता था कि घर का कोई बुजुर्ग मुखिया हो। उनके निधन से राजभवन का हर एक कर्मचारी दुखी है।
उनके साथ कार्य कर चुके अधिकारियों-कर्मचारियों ने हरिभूमि से काफी कुछ बातें साझा की। यह तक कहा कि आज उन्हें हम लोग इस तरह से मिस कर रहे हैं कि जैसे घर का मुखिया दुनिया से विदा हो गया हो। राजभवन के कर्मियों से बातचीत का संक्षिप्त अंश।
उन्हें आभास हो गया था कि अब जाने का वक्त आ गया
जब वे अंतिम बार लखनऊ जा रहे थे तो जैसे उन्हें आभास हो गया था कि अब उनका अंतिम समय आ गया है। उन्होंने प्रमुख सचिव से जाते वक्त कहा कि उन्हें लग रहा है कि अब उनका अंतिम समय आ गया है। पहली बार उनके मुंह से यह सुनकर सभी हतप्रभ थे। राज्यपाल लाल जी टंडन को राजभवन में भी लोग बाबू जी ही कहकर पुकारते थे। वहां के शासकीय सेवक कभी महसूस ही नहीं किए कि वे राज्यपाल थे, बल्कि घर के मुखिया की तरह थे।
बाबू जी बहुत मिश कर रहे हैं हम लोग
असिस्टेंट प्रोटोकॉल आफिसर शिल्पी दिवाकर कहती हैं कि करीब 6 साल से वे राजभवन में हैं। पर पहली बार ऐसा लगा कि घर का जैसे कोई मुखिया चला गया हो। वे अपना संस्मरण सुनाते हुए कहतीं हैं कि कोरोना संक्रमण की जांच हो रही थी। पर उनके चेहरे पर जरा सा शिकन नहीं था। टेंशन तो कभी दिखा ही नहीं। वे बताती हैं कि आदर्श गौ शाला समेत राजभवन में कई नवाचार किए। मंत्रालय जैसी सुविधा उन्होंने सभी कर्मचारियों को उपलब्ध कराई। उनके जन्मदिन की बातें याद करती हुई वे कहती हैं कि उन्हें कभी लगा ही नहीं कि राज्यपाल हैं। बल्कि जन्मदिन का अभिवादन करने जब उनके पास पहुंची थीं कि जैसे बच्चों को हैप्पी बर्थडे बोलते हैं, वैसा उन्होंने स्वीकार किया। आज हम लोग उन्हें बहुत मिस कर रहे हैं।
कभी दबाव महसूस नहीं किया
मुख्य सुरक्षा अधिकारी नीरज ठाकुर कहते हैं कि राज्यपाल टंडन मृदुभाषी होने के साथ अधिकारियों, कर्मचारियों से सहयोगी की तरह व्यवहार करते थे। मुख्य सुरक्षा अधिकारी के तौर पर उनके साथ कार्य किए, पर उनका पारिवारिक स्नेह अभी भी नहीं भुलाया जा सकता। कार्यशैली बेहद ही स्पष्ट होती थी। यदि कुछ समझ में नहीं आता था तो दोबारा भी उनके पूछ सकते थे। राजभवन में बड़े-बड़े कार्यक्रम हुए, पर कभी किसी को कभी भी दबाव महसूस नहीं हुआ। वे हमेशा से याद किए जाएंगे।
टेक्नोलॉजी व भारतीय संस्कृति के अद्भुत संगम थे
राजभवन में कंट्रोलर हाउसहोल्ड मिस सुरभि तिवारी कहती है कि राज्यपाल टंडन विचारवान व बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनकी सोच व्यापक थी। अधिकारियों, कर्मचारियों से वे स्नेहवत व्यवहार रखते थे। टेक्नोलॉजी व भारतीय संस्कृति का अद्भुत संगम समेटे हुए थे। उनमें आधुनिकता व प्राचीनता का विराट व्यक्तित्व था। उनके साथ का अनुभव काफी अच्छा रहा। उन्होंने अमिट छाप छोड़ी है। इसे हमेशा याद किया जाएगा।
8 टेस्ट किए, सभी निगेटिव आया, पर चेहरे पर कभी डर नहीं दिखा
राजभवन में उनका इलाज करने वाले डॉ. बीके श्रीवास्तव कहते हैं कि उनकी 8 बार कोरोना टेस्ट हुआ। हर बार निगेटिव आया। उनकी इम्यूनिटी इतनी अच्छी थी कि एक बार भी कोरोना से डर नहीं लगा। पर उनके चेहरे पर कभी शिकन या डर नहीं दिखा। बल्कि यही कहते थे कि जीवन है तो कुछ बीमारी भी होगी। यह सामान्य बात है। टीवी पर इम्यूनिटी बूस्टर का प्रचार देखकर वे बोले ही यह तो वे सालों से ले रहे हैं। आयुर्वेद के प्रति उनका गहरा विश्वास था। जीवन के प्रति उनका नजरिया काफी अलग व साफ था। डॉक्टरों का वे बेहद ही सम्मान करते थे। प्रसन्न चित्त रहना तो कोई उनसे सीखें, ऐसे थे हमारे राज्यपाल टंडन।
Tags
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS