मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में ही प्रतिबंध बेअसर, प्रतिदिन कचरे में पहुंच रही 20 टन अमानक पालीथिन

भोपाल। मध्यप्रदेश में करीब 10 माह से सिंगल यूज पालीथिन और अमानक पालीथिन का विक्रय, खरीद और इस्तेमाल प्रतिबंधित है। इसका पालन नहीं करने पर दोषियों के खिलाफ सजा और जुर्माने की कार्रवाई का प्रविधान किया गया है। इसके बावजूद शहर में निकलने वाले कचरे में इसकी मात्रा कम नहीं हो रही है। प्रतिदिन कचरा स्टेशनों पर 20 मीट्रिक टन अमानक पालीथिन पहुंच रही है। बीते तीन वर्षों में प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दो दर्जन से अधिक पालीथिन फैक्ट्रियों को बंद कराया जा चुका है। अब शहर में इसकी आपूर्ति गुजरात, नोएडा और दिल्ली के आसपास के जिलों से की जा रही है। सोमवार को नगर निगम ने कई जगह छापे मारकर जुर्माना किया। नगर निगम द्वारा काफी दिनों से कार्रवाई की जा रही है, लेकिन इसके बाद भी पूरे शहर में इसकी मात्रा बढ़ती जा रही है।
निष्पादन सेंटर पर पहुंच रहीं पॉलीथिन
नगर निगम द्वारा प्लास्टिक के निष्पादन के लिए कलेक्शन सेंटर स्थापित किए गए हैं। शहर से रोजाना 850 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। इसमें 30 मीट्रिक टन से अधिक कचरा प्लास्टिक का होता है। इसमें करीब दस टन प्लास्टिक को रिसाइकिल कर लिया जाता है। जबकि 20 मीट्रिक टन कचरा नान रिसाइकिल होता है। वहीं शहर में प्रतिदिन 20 से 25 मीट्रिक टन पालीथिन शहर में प्रतिदिन खपाई जा रही है। सप्ताहिक हाट और मुख्य बाजारों में अमानक पालीथिन का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन इन्हें पकड़ने और प्रतिबंध को कारगर बनाने में नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अमला लापरवाही दिखा रहा है। जबकि पुराने शहर में 50 से अधिक थोक विक्रेता हैंए इनके बड़े गोदामों में क्विंटलों पालीथिन मौजूद है। लेकिन अधिकारी हाथठेला और सब्जी की दुकानों में कार्रवाई कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
इन सामग्रियों में लगाया गया प्रतिबंध
प्लास्टिक कचरा के तहत सिंगल यूज प्लास्टिक की कुल 19 वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाया गया है। इनमें थर्माकोल से बनी प्लेटए कपए गिलासए कटलरी जैसे कांटेए चम्मचए चाकूए ट्रेए मिठाई के बक्सों पर लपेटी जाने वाली फिल्मए निमंत्रण कार्डए सिगरेट पैकेट की फिल्मए प्लास्टिक के झंडेए गुब्बारे की छड़ें और आइसक्रीम पर लगने वाली स्टिकए क्रीमए कैंडी स्टिक और 100 माइक्रोन से कम के बैनर शामिल हैं।
प्रति व्यक्ति दस ग्राम अमानक पालीथिन की खपत
पर्यावरणविद सुभाष सी पांडेय ने बताया कि कोरोना के बाद आम लोगों में यूज एंड थ्रो का चलन बढ़ा है। इससे शहर में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक की खपत भी बढ़ गई है। अब यहां प्रति व्यक्ति द्वारा निकलने वाले औसतन 350 ग्राम कचरे में करीब 15 प्रतिशत प्लास्टिक होता है। इसमें 10 से 12 प्रतिशत प्लास्टिक रिसाइकिल करने योग्य होता हैए जबकि दो से तीन फीसदी नान रिसाइकेबल होता है। मतलब प्रति व्यक्ति दस ग्राम अमानक पालीथिन की खपत हो रही है।
नगर निगम की कार्रवाई
नगर निगम, द्वारा सोमवार को डेंगू/लार्वा की जांच के साथ ही प्रतिबंधित पॉलीथीन के विक्रय, उपयोग तथा गंदगी फैलाने वालों के विरूद्ध चालानी कार्यवाही भी की जा रही है। इसी तारतम्य में निगम अमले ने प्रतिबंधित पॉलीथीन के 105 प्रकरणों में 13 हजार 350 रूपये तथा गंदगी फैलाने सहित 111 अन्य प्रकरणों में 20 हजार 350 रूपये स्पॉट फाईन वसूल किया।
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