Banda Vidhan Sabha Seat : कांग्रेस के तरवर के सामने इस बार भाजपा के वीरेंद्र मैदान में

भोपाल। बुंंदेलखंड के सागर जिले की बंडा विधानसभा सीट में कांग्रेस ने विधायक तरवर सिंह लोधी काे फिर मुकाबले में उतारा है, जबकि भारतीय जनता पार्टी की ओर से पूर्व सांसद एवं विधायक स्व. शिवराज सिंह लोधी के बेटे वीरेंद्र सिंह लोधी मैदान में हैं। बंडा सीट स्व. हरनाम सिंह राठौर के नाम से जानी जाती है। वे इस सीट से कई बार चुनाव जीते और मंत्री भी बने। स्व. हरनाम के बेटे हरवंश राठौर 2013 में यहां से विधानसभा चुनाव जीते थे, लेकिन पिछले चुनाव में उन्हें बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। लोधी समाज के वोटों को ध्यान में रखकर इस बार भारतीय जनता पार्टी ने यहां से वीरेंद्र सिंह को टिकट दिया है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के अंदर हुई बगावत ने पार्टी की सांसें रोक दी हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस बंडा में एकजुट होकर चुनाव लड़ती दिख रही है। हालांकि यह एकजुटता कितनी होगी, चुनाव के बाद स्थिति साफ होगी।
हरवंश ने बना रखी चुनाव से दूरी
स्व. हरनाम सिंह राठौर का इस सीट पर अच्छा असर रहा है। वे भाजपा के कद्दावर नेता रहे हैं। उनके बेटे हरवंश लगभग 18 हजार वोटों के अंतर से जीत कर विधायक रहे हैं। लेकिन 2018 की हार के बाद से वह राजनीति से दूर जैसा हो गया है। इस चुनाव में न उसने टिकट मांगा और न ही क्षेत्र में सक्रिय है। भाजपा द्वारा वीरेंद्र को प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद भी वह राजनीतिक परिदृश्य से ओझल है। हरवंश के सक्रिय न रहने का नुकसान भी भाजपा को उठाना पड़ सकता है।
बंडा में कांग्रेस दिख रही एकजुट
बंडा ऐसा विधानसभा क्षेत्र है, जहां विधायक तरवर सिंह लोधी के साथ कांग्रेस एकजुट होकर मैदान में दिखाई पड़ रही है। कांग्रेस के एक अन्य दावेदार नारायण प्रजापति यहां से 2008 में चुनाव लड़ कर जीते थे। इसके बाद 2013 में उन्हें भाजपा के हरवंश से हार का सामना करना पड़ा था। इस बार भी वे दावेदार तो थे लेकिन टिकट नहीं मिला तो शांत हैं। कमलनाथ ने पहले ही नारायण को संगठन के काम में लगा दिया था। वे छतरपुर जिले के प्रभारी भी थे। फिलहाल कांग्रेस प्रत्याशी तरवर लोधी का ही प्रचार कर रहे हैं।
बुंदेला पार्टी छोड़ बने बसपा प्रत्याशी
वीरेंद्र सिंह के प्रत्याशी घोषित ही भाजपा को पहला झटका बंडा से एक अन्य दावेदार रंजाेर सिंह बुंदेला ने दिया। भाई-भतीजावाद का आरोप लगाते हुए उन्होंने पार्टी छोड़ दी और बसपा के हाथी पर सवार हो गए। बसपा ने उन्हें बंडा से प्रत्याशी भी घोषित कर दिया। रंजोर बंडा के दूसरे बड़े कस्बे शाहगढ़ के रहने वाले हैं। उनका इस इलाके में अच्छा असर है। यहां वे जिला और जनपद पंचायत का चुनाव लड़ते और जीतते रहे हैं। उनके मैदान में रहने से भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
सुधीर यादव ने दिया दूसरा झटका
पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री लक्ष्मीनारायण यादव के बेटे सुधीर यादव ने बंडा में भाजपा को दूसरा झटका दिया। 2008 में वे इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की पार्टी भाजश के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। तब सुधीर को साढ़े 22 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। बंडा क्षेत्र में यादव और लोधी मतदाता बहुतायत में हैं। जितनी तादाद लोधी मतदाताओं की है, लगभग उतने ही यादव हैं। टिकट वितरण से नाराज होकर सुधीर ने भाजपा छोड़ी है। 2018 के चुनाव में वे सुरखी में भाजपा के टिकट पर गोविंद राजपूत के सामने मैदान में थे, जबकि उप चुनाव में उन्होंने भाजपा के गोविंद सिंह राजपूत की मदद की थी। वे तब से ही बंडा में तैयारी कर रहे थे लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। सुधीर का भी चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। न लड़ें तब भी उनके कारण भाजपा को यादव वोटों का नुकसान हो सकता है।
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