bhopal gas tragedy story : तिवारी, धुर्वे व शर्मा ...वे नाम जो न होते तो कई लोग न ‘होते’

bhopal gas tragedy story : तिवारी, धुर्वे व शर्मा ...वे नाम जो न होते तो कई लोग न ‘होते’
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गैस रिसाव के बाद 3 दिसंबर 1984 की तड़के लोग जान बचाकर बदहवास हालत में या तो दम तोड़ रहे थे या भोपाल से जान बचाकर बाहर भाग रहे थे

भोपाल। गैस रिसाव के बाद 3 दिसंबर 1984 की तड़के लोग जान बचाकर बदहवास हालत में या तो दम तोड़ रहे थे या भोपाल से जान बचाकर बाहर भाग रहे थे, लेकिन भोपाल स्टेशन पर पदस्थ रेलवे गार्ड केके तिवारी, स्टेशन प्रबंधक हरीश धुर्वे एवं हरिशंकर शर्मा सहित करीब 44 से अधिक रेल कर्मचारियों ने अपनी जान की परवाह न करते लाखों यात्रियों की जान बचाई।

सभी 44 कर्मचारियों के नामों का उल्लेख

दरअसल इन कर्मचारियों ने गैस त्रासदी के दौरान अपनी जान पर खेलकर भोपाल स्टेशन पर आने वाली ट्रेनों को भोपाल स्टेशन के आउटर पर रुकवाकर लाखों यात्री की जान बचाई। जिसमें कई ट्रेनों को भोपाल से पहले लाल कपड़ा दिखाकर ट्रेनों को रोका गया। इसमें जहां बीना की तरफ से आने वाली ट्रेनों को विदिशा, निशातपुरा, सलामतपुर और इटारसी की तरफ से आने वाली ट्रेनों को मिसरोद, मंडीदीप, औबेदुल्लागंज व बुदनी के आसपास रोक दिया गया। इस तरह दो दर्जन ट्रेनों को भोपाल आने से पहले रोक दिया गया। इन सभी की याद में भोपाल स्टेशन परिसर में एक स्मारक बनाया गया हैं, जिसमें सभी 44 कर्मचारियों के नामों का उल्लेख है।

पिता जी ने रेलवे अिधकारी व एंबुलेंस बुलाकर बचाई कई जान

अजय तिवारी बताते हैं कि 2 दिसंबर 1984 की रात 11.30 बज रहे थे। वेस्ट रेलवे कॉलोनी के मकान नंबर 124-डी में परिवार सो रहा था, लेकिन रेलवे में गार्ड पिता केके तिवारी को इस घटना की जानकारी मिलते ही वे पूरी रात रेलवे के फोन से स्टेशन प्रबंधक और साथी रेल कर्मचारियों से संपर्क में थे। इसके अलावा उन्होंने तत्काल एंबुलेंस बुलाकर गैस से प्रभावित लोगों को अस्पताल भिजवाया। साथ ही रेलवे अधिकारियों और कर्मचारियों को लगातार सूचना देते रहे। गैस का असर इतना भयावह था कि वे भी गैस की चपेट में आ गए और दूसरे दिन उनका देहांत हो गया।

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