Bhopal News: गार्बेज फ्री सिटी और वाटर प्लस का सर्वे करने भोपाल पहुंची स्वच्छ सर्वेक्षण की टीम

Bhopal News:भोपाल। स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 के तहत शहर में गार्बेज फ्री सिटी का सर्वे शुरू हो गया है। सोमवार को दिल्ली से केंद्रीय टीम सफाई का मुआयना करने के लिए भोपाल पहुंच चुकी है। मंगलवार को इस टीम पहले दिन पुराने शहर के 10 वार्डों का निरीक्षण किया। जहां गंदगी मिली, उसकी फोटो खींचकर टीम के सदस्यों ने पोर्टल में अपलोड कर दिया। बता दें कि स्वच्छ सर्वेक्षण की टीम का फोकस सड़कों की सफाई, बाजार और दुकानों के बाहर रखे डस्टबिन, जलाशय, सार्वजनिक स्थलों, चौराहों के फाउंटेन, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और उद्यान का सर्वे करने का है। दिल्ली से आई टीम में 12 सदस्य हैं, जो एक-एक वार्ड का सर्वे कर रहे हैं। करीब पांच दिन यह सर्वे चलेगा। मंगलवार को पुराने शहर के वार्ड 10, 11, 12, 13, 19, 20, 21 और नए शहर के वार्ड 26 व 31 में पहले दिन दिल्ली से आई टीम ने सर्वे किया।
तीन माह देरी आइ टीम
दरअसल स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के गार्बेज फ्री सिटी सर्वे अगस्त महीने में होना था। लेकिन इस बार सर्वे करने वाली एजेंसी का टेंडर देरी से हुआ। ऐसे में टीम तीन महीने बाद भोपाल आइ। मंगलवार को सर्वे टीमें अगल-अलग ग्रुप बनाकर वार्डों में पहुंची। जहां उन्होंने मुख्य मार्ग की सड़कों पर होने वाली साफ-सफाई, चौराहों की सफाई देखी। इसके साथ बड़ा तालाब, छोटा तालाब, नवाब सिद्दीक हसन तालाब, मुंशी हुसैन खां तालाब, मोतिया तालाब भी देखा। तालाब के आसपास की सफाई और कैचमेंट क्षेत्र का निरीक्षण किया।
वायु व जल प्रदूषण रोकने के उपायों को देखा
गार्बेज फ्री सिटी का सर्वे करने आइ टीम ने शहर के चौराहों पर बने फाउंटेन देखे। बता दें कि नगर निगम को शहर के वायु प्रदूषण रोकने के लिए दिनभर फाउंटेन चालू रखना है। हालांकि टीम को शहर के सभी फाउंटेन चालू मिले। इधर शहर में अगल-अलग क्षेत्रों पर नगर निगम ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए हैं। जहां सीवेज पानी को ट्रीट कर उपयोग करना है। बुधवार को टीम सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों का निरीक्षण करेगी।
नंबर वन आने में ये हैं चुनौतियां
शहर में सिविल का वर्क पूरा नहीं हुआ है। जगह-जगह डिवाइडर टूटे हुए हैं। दीवारों पर पेंटिंग नहीं हुई है। फुटपाथों भी उखड़े पड़े हैं। इसका खामियाजा सर्वेक्षण में भुगतना पड़ सकता है। वहीं रहवासियों में भी सफाई के प्रति जागरुकता की कमी है। खुले में कचरा फेंकते हैं, जिससे गली-मोहल्लों कचरे का ढेर लग जाता है।
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