Bhopal News : बुजुर्ग महिला का पेट मुड़कर पहुंच गया था फेफड़ों के पास, दो सर्जरी कर बचाई जान

भोपाल। बीएमएचआरसी हॉस्पिटल में पेट की बेहद ही दुर्लभ बीमारी से जूझ रही एक बुजुर्ग महिला का ऑपरेशन कर उसकी जान बचाई गई। बीमारी के चलते महिला का पेट मुड़कर दो हिस्सों में बंट गया था और खिसकर फेफड़े के पास पहुंच गया था। ऐसे में भोजन या पानी आहार नली से आगे नहीं जा पा रहा था और उन्हें तुरंत उल्टी हो जाती थी। इस बीमारी को गैस्टि्रक वॉल्वुलस कहा जाता है। महिला की लैप्रोस्कोपिक पद्धति से एकसाथ दो सर्जरी कर पेट को सीधा कर अपनी जगह पर लाया गया।
यह पहला केस सामने आया
गैस्ट्रो सर्जरी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रमोद वर्मा ने बताया कि जब यह महिला पेट के दर्द और खाने के बाद उल्टी की समस्या के साथ आई। जांच में पता चला कि महिला दुर्लभ बीमारी गैस्टि्रक वॉल्वुलस से पीड़ित थीं। हाइटस हार्निया की वजह से उनका पेट अपने स्थान से हटकर फेफड़ों के पास आ गया था और पूरी तरह मुड़ गया था। पेट का इस तरह मुड़ जाने की मामला एक लाख में से किसी एक मरीज में सामने आता है। बीएमएचआरसी में भी इस तरह का यह पहला केस सामने आया है। मुख्य बात यह थी कि मरीज सही समय पर अस्पताल आ गईं। अगर वह आने में देर कर देती, तो उनका पेट काला पड़ जाता और यह स्थिति मरीज के लिए घातक होती।
बचपन में रेडिएशन के संपर्क में आने से हो सकता पैपिलरी कार्सिनोमा कैंसर: डॉ. मलिक
भोपाल। थायराइड से संबंधित बीमारियां आज दुनिया भर में आम हो गई है। थायराइड कैंसर एक साइलेंट खतरा है। थायराइड कैंसर के कारण अलग-अलग हो सकते हैं। जैसे पैपिलरी कार्सिनोमा कैंसर बचपन में रेडिएशन के संपर्क में आने से या फिर फैमिली हिस्ट्री और कुछ आनुवंशिक कारणों से ये कैंसर हो सकता है। यह जानकारी हेड एंड नेक कैंसर सर्जन डॉ. अक्षत मलिक ने दी। उन्होंने बताया कि थायराइड कैंसर कई प्रकार के हो सकते हैं। इनमें सबसे आम थायराइड का पैपिलरी कार्सिनोमा कैंसर है। इसके अलावा अन्य थायराइड कैंसर में फॉलिक्युलर कार्सिनोमा, मेडुलरी कार्सिनोमा, एनाप्लास्टिक कार्सिनोमा, लिम्फोमा हो सकते हैं। डॉ मलिक ने कहा कि 25 प्रतिशत मामलों में मेडुलरी कार्सिनोमा पारिवारिक हो सकता है। ऐसे मामलों में यह मेन आइआइए और मेन आआइबी जैसे सिंड्रोम से जुड़ा होता है। इन मामलों में विशिष्ट जेनेटिक म्यूटेशन मौजूद होते हैं जो परिवार के जरिए एक-दूसरे में आगे जाते हैं।थायराइड का इलाज अलग-अलग फैक्टर पर निर्भर करता है। मरीज की उम्र, लिंग, सूजन का साइज, लिम्फ नोड मेटास्टेसिस या दूर मेटास्टेसिस की उपस्थिति के हिसाब से इलाज होता है।
गर्दन में सूजन आना थाॅयराइड कैंसर के लक्षण
डॉ. मलिक ने बताया कि थायराइड कैंसर आमतौर पर गर्दन की सूजन के रूप में नजर आता है। इसमें एक जगह या उससे ज्यादा जगह भी सूजन हो सकती है। इसमें गर्दन की नोड में वृद्धि हो सकती है। मरीज में हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण हो सकते हैं जैसे- वजन बढ़ना, भूख में कमी, पसीने में कमी, ठंड बर्दाश्त न होना।
180 डिग्री घूम गया था पेट
मरीज का पेट 180 डिग्री तक घूम गया था। डॉ वर्मा ने बताया कि पेट की नसों के ढीले हो जाने से आमाशय अपने स्थान से ऊपर खिसक जाता है। इसे हाइटल हार्निया कहते हैं। मुख्य तौर पर हाइटल हार्निया की वजह से ही गैस्टि्रक वॉल्वुलस होता है। इसमें पेट अपने असली स्थान से 180 डिग्री से ज्यादा तक घूम जाता है, जिससे पाचन की प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है। बहुत ही कम मामलों में ऐसा होता है कि पेट पूरी तरह मुड़ जाए।
दो तरह के ऑपरेशन हुए एक साथ
डॉ. वर्मा के मुताबिक महिला स्थिति बेहद गंभीर थी। ऐसे में दोनों ऑपरेशन साथ करने का निर्णय लिया गया। सबसे पहले मुड़े हुए आमाशय (पेट) को सीधा किया और इसे वापस अपने स्थान पर लाया गया। आमाशय दोबारा अपने स्थान से न खिसक जाए, इसलिए फंडोप्लिकेशन कर पेट के ऊपरी हिस्से को एसोफैगस के आसपास लपेटकर टांके लगा दिए गए। पेट वापस न मुड़े, इसके लिए गैस्ट्रोपैक्सी की गई। गैस्ट्रोपैक्सी में अमाशय को पेट की दीवार से फिक्स कर टांके लगा दिए गए। खास बात यह है कि इस जटिल प्रक्रिया को दूरबीन यानी लैप्रोस्कोपिक पद्धति से अंजाम दिया गया और मरीज को सिर्फ 3 चीरे (5 मिमी के 2 और 1 सेमी का 1) लगाए गए। इसकी वजह से मरीज तीन दिन बाद ही अपने पैरों पर खड़ी हो गईं और उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
दुर्लभ बीमारी है
गैस्टि्रक वॉल्वुलस एक दुर्लभ और जानलेवा बीमारी है। इस बीमारी से होने वाली मत्यु दर भी ज्यादा है। महिला की उम्र को देखते हुए सर्जरी करना और भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण था। गैस्ट्रो सर्जरी विभाग की टीम ने मुश्किल काम को अंजाम दिया है।
- डॉ. मनीषा श्रीवास्तव, प्रभारी निदेशक, बीएमएचआरसी
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