ट्रिपल आईटी भोपाल के निदेशक का बयान, नेहरू के मंत्रिमंडल ने भी मैकाले को अपनाया

Bhopal: राजधानी स्थित भारतीय सूचना प्रौद्यौगिकी संस्थान, ट्रिपल आईटी भोपाल के निदेशक आशुतोष कुमार सिंह ने एक लेख के माध्यम से नई शिक्षा नीति पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि महान दार्शनिक कन्फ्यूशियस के अनुसार यदि आपकी योजना एक वर्ष के लिए है, तो चावल के पौधे लगाएं, यदि आपकी योजना दस वर्ष के लिए है, तो पेड़ लगाएं, यदि आपकी योजना 100 वर्ष के लिए है, तो बच्चों की शिक्षित करें। मैकाले को पता था कि भारत ब्रिटिश साम्राज्य के लिए खतरा हो सकता है इसलिए उसने भारतीय मानसिकता को नष्ट करने की योजना बनाई ब्रिटिश सरकार ने भारतीय युवाओं को शिक्षा के माध्यम से विचारमंथन करने के लिए एक शिक्षा नीति लागू की और इसे मैकाले की शिक्षा नीति का नाम दिया। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री मंत्री और शिक्षा मंत्री, वे शख्स थे जो मौजूदा शिक्षा नीति में सुधार कर सकते थे, लेकिन ऐसा लगता है कि शिक्षा प्रधानमंत्री की प्राथमिकता में नहीं थी।
नेहरू के मंत्रिमंडल ने भी मैकाले को अपनाया
नेहरू के मंत्रिमंडल ने गुलामी की मानसिकता विकसित करने वाली मैकाले की शिक्षा नीति को लागू करना जारी रखा। देश में अपनी पहली शिक्षा नीति के लिए 21 साल तक इंतजार किया, जिसे स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने 1968 में मंजूरी दी। दूसरी शिक्षा नीति 1986 में स्वर्गीय राजीव गांधी की कैबिनेट द्वारा पेश की गई थी जिसे बाद में 1992 में पीवी नरसिम्हा राव सरकार के दौरान संशोधित किया। अब, 28 वर्षोंं बाद एक नई शिक्षा नीति की गई है। नई नीति के अनुसार, सरकार शिक्षा पर सकल घरेलू एत्पाद का 6 प्रतिशत खर्च करेगी, जो पहले केवल 1.7 प्रतिशत था।
66 पेज का है दस्तावेज
27 जुलाई 2015 को एनडीए सरकार ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी नेतृत्व एक नई नीति पेश करने की शुरू गई। भारत सरकार ने 29 जुलाई 2020 को शिक्षा नीति पेश की, जिसका 66 पेज दस्तावेज है। मौजूदा शिक्षा नीति नवीन अनुसंधान और विकास की चिंता नहीं करती। सौभाग्य से, भारत सरकार ने भारतीय युवाओं में नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए 2020 में नई शिक्षा नीति पेश की।
20 मिलियन स्कूली बच्चों को मुख्यधारा में लाएंगे
नई शिक्षा नीति के तहत 2030 तक स्कूली शिक्षा में प्री-स्कूल स्तर से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा के सार्वभौमिकरण को प्राप्त करना है। इससे ओपन स्कूलिंग प्रणाली के माध्यम से करीब 20 मिलियन स्कूली बच्चों को मुख्यधारा में वापस लाने की उम्मीद है।
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