पूर्व सीएम उमा भारती के नशाबंदी को लेकर शुरू किए पत्थरफेंक आंदोलन से भाजपा ने किनारा किया

पूर्व सीएम उमा भारती के नशाबंदी को लेकर शुरू किए पत्थरफेंक आंदोलन से भाजपा ने किनारा किया
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नशाबंदी को लेकर पूर्व सीएम उमा भारती के शुरू किए गए पत्थरफेंक आंदोलन से भाजपा ने किनारा कर लिया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. हितेश वाजपेयी ने कहा कि ये मामला उमा भारती और जिला प्रशासन के बीच का है। इससे भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है।

भोपाल। नशाबंदी को लेकर पूर्व सीएम उमा भारती के शुरू किए गए पत्थरफेंक आंदोलन से भाजपा ने किनारा कर लिया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. हितेश वाजपेयी ने कहा कि ये मामला उमा भारती और जिला प्रशासन के बीच का है। इससे भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है। गौर हो कि बरखेड़ा पठानी स्थित विदेशी शराब की दुकान में रविवार को शाम 5 बजे अपने समर्थकों समेत पहुंची पूर्व सीएम उमा भारती ने नशाबंदी को लेकर लगातार टलते आ रहे आंदोलन को सांकेतिक रूप से शुरू कर दिया। वे शराब दुकान में घुसीं और वहां सामने रखी शराब की बोतलों पर एक ईंट दे मारी। वे ईंट फेंकने के बाद वहां लगभग 15 मिनट तक रुकी रहीं। गौर हो कि अब तक चार बार उमा भारती के ऐलान के बाद उनका नशाबंदी का ये आंदलन टलता आ रहा था। पिछले दिनों उनकी इसी मुद्दे पर सीएम शिवराज सिंह चौहान से भी बात हुई थी। तब उन्होंने सीएम से अनुरोध किया था कि जो शराब दुकानें निषिद्ध क्षेत्रों में हैं, पहले उनको हटा लिया जाए। उमा ने कहा कि मैंने एक हफ्ते के अंदर दुकान एवं आहता को हटाने का अल्टीमेटम दिया था। पर, नहीं हटाई गई। गौर हो कि बुधवार को उमा गुनगा में भी एक देसी शराब दुकान के मालिक को भी चेतावनी देकर आईं थीं कि ये एक हफ्ते में बंद कर दो। माना जा रहा है कि अब उमा उस दुकान में भी धावा बोलेंगी।

इस दुकान का खुलते ही हुआ था विरोध

दरअसल, बरखेड़ा पठानी स्थित इस दुकान के खुलते ही विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। इसे बंद कराने (शिफ्टिंग) के लिए पहले भी महिलाएं सड़क पर आ चुकी हैं, लेकिन महिलाओं के विरोध प्रदर्शन का कोई असर नहीं हुआ था। इस घटना के बाद उमा भारती ने ट्वीटर पर शराब दुकान का विरोध किया है। उमा भारती ने ट्वीट करते हुए कहा कि इस शराब की दुकान के पास मजदूरों की बस्ती हैं, बच्चों के स्कूल हैं। पास ही मकान होने के कारण महिलाएं छत पर खड़ी होती हैं तो लोग शराब के नशे में लघुशंका करते हुए नजर आते हैं। इससे महिलाओं को शर्मिंदा होना पड़ता है। मजदूर दिन भर की पूरी कमाई इन दुकानों में खराब कर देते हैं। दुकान सरकारी नीति के खिलाफ है। इस दुकान को बंद कराने के लिए पूर्व में भी प्रशासन को कहा गया, लेकिन केवल आश्वासन ही मिला है।

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