क्रेशर मशीनों पर पत्थर तोड़ा, तगाड़ी उठाई, ऐसी मजदूरी करते- करते आखिरकार बन गईं लीला बाई पहली महिला ठेकेदार

क्रेशर मशीनों पर पत्थर तोड़ा, तगाड़ी उठाई, ऐसी मजदूरी करते- करते आखिरकार बन गईं लीला बाई पहली महिला ठेकेदार
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गरीबी की आंच में पककर निकला हुआ कुंदन समाज के लिए आदर्श बन जाया करता है। इस उक्ति को साकार किया है मप्र की राजगढ़ निवासी महज पाचवीं कक्षा उत्तीर्ण लीलाबाई वर्मा ने जो कभी दूसरों के यहां मजदूरी करती थी लेकिन मेहनत और परिश्रम के बल पर आज खुद ए-क्लास की ठेकेदार बन चुकी हैं।

सुनील गोले. राजगढ़

गरीबी की आंच में पककर निकला हुआ कुंदन समाज के लिए आदर्श बन जाया करता है। इस उक्ति को साकार किया है राजगढ़ निवासी महज पाचवीं कक्षा उत्तीर्ण लीलाबाई वर्मा ने जो कभी दूसरों के यहां मजदूरी करती थी लेकिन मेहनत और परिश्रम के बल पर आज खुद ए-क्लास की ठेकेदार बन चुकी हैं। आज से 20 वर्ष पहले आर्थिक तंगी के चलते लीलाबाई क्रेशर मशीनों पर पत्थर तोड़ती, कारीगरों के साथ मजदूरी करती, सिर पर तगाड़ी उठाती थी। वर्ष 200 तक लीलाबाई ने मोतीपुरा खाती, तंवरवाड़ क्षेत्र सहित आसपास के ग्रामों में सड़क निर्माण के कार्यों में मजदूरी की, सिर पर पत्थर, तगाड़ियां उठाईं। कारीगरों के साथ मजदूरी करते-करते लीलाबाई धीरे-धीरे खुद कारीगरी करना सीख गई।

छोटे निर्माण ठेकों से की शुरूआत

कारीगरी में दक्ष होने पर लीलाबाई ने लोक निर्माण विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग में स्कूल कक्ष निर्माण, बाउन्ड्रीवाल निर्माण, भवनों के जीर्णोद्धार जैसे कामों के छोटे-छोटे ठेके लिए शुरू किए। सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हुए लीलाबाई आज लाखों, करोड़ों के निर्माण कार्यों के ठेके स्वयं ले रही हैं और पूरी तरह से सुविधा संपन्न हैं।

कईं जगहों पर हो चुकी है सम्मानित

एक मजदूर से बड़े ठेकेदार का सफर तय करने वाली इस महिला व्यक्तित्व को जिला प्रशासन, रेडक्राॅस सोसाइटी, विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है। इसके साथ ही दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के हाथों भी ये सम्मानित हो चुकी हैं। आज राजगढ़ जिले में इस महिला को सभी सम्मान से लीलाबाई ठेकेदार के नाम से संबोधित करते हैं।

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