मंत्रिमंडल विस्तार : फोकस उप चुनाव पर लेकिन गड़बड़ा गया क्षेत्रीय संतुलन

भोपाल। गुरुवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार में पाला बदलने का कमाल देखने को मिला। 28 मंत्रियों ने शपथ ली, इनमें सिंधिया समर्थक बागियों की संख्या 12 है जबकि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में उनके समर्थक मंत्रियों की संख्या महज 6 थी। दो बागी पहले ही मंत्री बन चुके हैं। इस लिहाज से सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ने वाले 22 बागी पूर्व विधायकों में अब 14 मंत्री हैं अर्थात लगभग 70 फीसदी। है न पाला बदलने का कमाल। इसके विपरीत भाजपा सदस्यों की संख्या 107 है। आज बने 16 को जोड़ दें तो मंत्रियों की संख्या हुई 19 अर्थात कुल सदस्य संख्या का 20 फीसदी भी नहीं। यह तो होना ही था, आखिर कांग्रेस से आए बागियों की दम पर भाजपा ने सरकार जो बनाई है।
सिंधिया का वर्चस्व स्वीकारने के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उप चुनावों पर फोकस रखने में सफल रहे लेकिन क्षेत्रीय, गुटीय एवं जातीय संतुलन नहीं साधा जा सका। पार्टी की इस मजबूरी को विधायक समझते हैं, इसलिए अपवाद छोड़कर कहीं से भी ज्यादा विरोध के स्वर सुनाई नहीं पड़े।
जहां 16 सीटों में उप चुनाव वहां से 11 मंत्री
मंत्रिमंडल विस्तार में उप चुनाव में फोकस का पता इससे चलता है कि 24 में से सबसे ज्यादा चंबल-ग्वालियर की 16 विधानसभा सीटों के लिए उप चुनाव होना है। यहां से 11 मंत्री बनाए गए हैं। नरोत्तम मिश्रा पहले से ताकतवर मंत्री हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के कारण भारत सिंह कुशवाह एवं अरविंद भदौरिया को जगह मिल गई है। सिंधिया परिवार में असंतोष न उभरे इसलिए यशोधराराजे सिंधिया को भी मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया है। शेष 7 मंत्री सिंधिया के साथ आए बागी प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, महेंद्र सिंह सिसोदिया, बृजेंद्र यादव, सुरेश धाकड़, ओपीएस भदौरिया तथा गिरराज दंडोतिया हैं।
पांच उप चुनाव वाले मालवा-निमाड़ से 10 मंत्री
चंबल-ग्वालियर अंचल के बाद सबसे ज्यादा 5 विधानसभा सीटों के लिए उप चुनाव मालवा-निमाड़ अंचल में हैं। मंत्रिमंडल में इस अंचल से 10 मंत्री हो गए हैं। आज के विस्तार में मालवा से 7 एवं निमाड़ से दो को मंत्री बनाया गया है। सिंधिया समर्थक तुलसी सिलावट पहले से मंत्री हैं। बगावत का फल राजवर्धन सिंह दत्तीगांव एवं हरदीप सिंह डंग को भी मिला। वे मंत्री बन गए। भाजपा के ताकतवर नेता व राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय एक बार फिर अपने विश्वस्त रमेश मेंदोला को मंत्री नहीं बनवा सके। इंदौर से ऊषा ठाकुर को स्थान मिला। वे संघ पृष्ठभूमि से हैं।
गड़बड़ा गया क्षेत्रीय संतुलन
मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय असंतुलन गड़बड़ाने की वजह ही यह है कि सिर्फ दो अंचलों से 21 मंत्री बन गए। शेष बचे महज 12 मंत्री। इनमें से बुंदेलखंड से 3, विंध्य से 3, मध्यभारत से 3 तथा महाकौशल अंचल से मात्र 1 सदस्य मंत्रिमंडल में स्थान पा सका। पहली बार भोपाल से सिर्फ एक मंत्री है और जबलपुर से एक भी नहीं।
सागर जिले से तीन मंत्री
एक तरफ जहां जबलपुर जैसे बड़े जिले को एक भी मंत्री पद नहीं मिला, वहां सागर जिले से तीन मंत्री बन गए। गोविंद सिंह राजपूत सिंधिया के खास होने के कारण पहली बार में ही मंत्री बन गए थे। गोपाल भार्गव नेता प्रतिपक्ष रहे हैं और 8 बार से लगातार विधायक, इसलिए उन्हें मंत्री बनना ही था। भूपेंद्र सिंह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सबसे विश्वस्त हैं और कांग्रेस के बागियों को साधने में उनकी मुख्य भूमिका रही है। इसलिए वे भी मंत्री बनने में सफल रहे।
देर रात तक जुड़ते-कटते रहे नाम
मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले नामों को लेकर देर रात तक चली कसरत में कई नाम काटे एवं जोड़े गए। जैसे रात तक खबर थी कि मंत्रिमंडल में सिंधिया खेमे से रणवीर जाटव मंत्री बन रहे हैं लेकिन उनका नाम कट गया। विंध्य अंचल से गिरीश गौतम तथा इंदौर के रमेश मेंदोला का नाम लगातार सूची में शामिल बताया गया। लेकिन शपथ के लिए जब सूची सामने आए तो दोनों नाम नदारद थे। इनकी जगह नए नाम शामिल कर लिए गए। यहीं नंदिनी मरावी के साथ हुआ। इसकी वजह यह है कि सिंधिया खेमे से उम्मीद से ज्यादा सदस्य मंत्री बन गए।
जातीय असंतुलन, क्षत्रिय, पिछड़े सर्वाधिक
जातीय समीकरण के लिहाज से भी मंत्रिमंडल संतुलित नहीं है। मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा पिछड़ा वर्ग से 10 मंत्री हैं। लेकिन लोधी समाज का एक भी मंत्री नहीं है। संभवत: इसीलिए पूर्व मुख्यमंत्री साध्वी उमा भारती ने मंत्रिमंडल को असंतुलित कहा है। मंत्रिमंडल में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा क्षत्रिय 7 हैं। उमा की नाराजगी की वजह यह भी हो सकती है। इनके अलावा 3 ब्राह्मण, 5 आदिवासी, 4 दलित जगह पाने में सफल रहे। पहली बार में वैश्य समाज से सिर्फ एक मंत्री है जबकि यह भाजपा का कोर वोट बैंक है। अल्पसंख्यक वर्ग से सिख हरदीप सिंह डंग एवं एक कायस्थ विश्वास सारंग मंत्री बन सके हैं। जाटव समाज से एक भी मंत्री नहीं बना जबकि उप चुनाव वाले क्षेत्रों में इनकी तादाद अच्छी खासी है।
भाजपा में बढ़ सकता सिंधिया का दखल
मंत्रियों की तादाद देखकर साफ है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं भाजपा नेतृत्व ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से किया गया पूरा वादा निभाया है। ऐसा करने में पार्टी के अंदर ही मुख्यमंत्री एवं दूसरे नेताओं को आलोचना झेलना पड़ रही है। इसका संकेत यह भी है कि जिस तरह 1967 में डीपी मिश्र की कांग्रेसी सरकार गिराने के बाद राजमाता विजयाराजे सिंधिया का जनसंघ और बाद में भाजपा में दखल बढ़ा, उसी तरह अब ज्योतिरादित्य का भाजपा में प्रभाव बढ़ सकता है। वे निर्णायक भूमिका में आ सकते हैं।
20 केबिनेट, 8 राज्य मंत्रियों ने ली शपथ, एक पद खाली
आज हुए मंत्रिमंडल विस्तार में 28 मंत्रियों ने शपथ ली। इनमें 12 सिंधिया खेमे से कांग्रेस छोड़कर आने वाले बागी हैं। भाजपा के 16 विधायक मंत्री बने हैं। आज शपथ लेने वालों में से 20 को कैबिनेट और 8 को राज्य मंत्री बनाया गया है। शिवराज की टीम में अब सीएम समेत 34 मंत्री हो गए। पिछली बार मिनी कैबिनेट में 5 मंत्रियों ने शपथ ली थी। अब सिर्फ एक मंत्री पद खाली है।
शपथ गृहण के साथ उप चुनाव की तैयारी
मंत्रिमंडल विस्तार के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं भाजपा ने उप चुनावों की तैयारी शुरू कर दी। मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल की बैठक लेकर मंत्रियों को बताया कि किन कामों पर फोकस रखना है। कांग्रेस छोड़कर आए बागियों से शिवराज एवं सिंधिया ने बैठक की और वन टू वन चर्चा भी की। इस चर्चा में सबको संतुष्ट करने की कोशिश हुई और उप चुनाव पर ध्यान केंद्रित रखने को कहा गया। शिवराज एवं सिंधिया ने पार्टी के अन्य नेताओं के साथ भाजपा कार्यालय जाकर भी अभियान में जुटने का संदेश दिया। यहां ग्वालियर अंचल के बहुत सारे कांग्रेसियों को भाजपा की सदस्यता दिलाई गई।
(Report :-विशेष प्रतिनिधि)
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