MP Elections 2023: नारायण त्रिपाठी के इस प्रत्याशी को मिली एमपी हाईकोर्ट से बड़ी राहत, जिला बदर की कार्रवाई पर लगाई रोक

MP Elections 2023: नारायण त्रिपाठी के इस प्रत्याशी को मिली एमपी हाईकोर्ट से बड़ी राहत, जिला बदर की कार्रवाई पर लगाई रोक
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MP Elections 2023: यह पूरा मामला रीवा के त्यौंथर विधानसभा सीट से विंध्य जनता पार्टी (VJP) के प्रत्याशी अरुण कुमार गौतम से जुड़ा है। मध्य प्रदेश में 17 नवबंर को चुनाव है।

MP Election 2023: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने विधानसभा का चुनाव लड़ रहे एक उम्मीदवार के जिला बदर के आदेश पर रोक लगा दी है। यह रोक 20 नवंबर तक जारी रहेगी और इस दौरान उम्मीदवार अपना चुनाव प्रचार कर सकेगा। जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को 20 नवंबर के बाद जिला दंडाधिकारी के आदेश के खिलाफ अपील पेश करने की स्वतंत्रता दी।

दरअसल, यह पूरा मामला रीवा के त्यौंथर विधानसभा सीट से विंध्य जनता पार्टी (VJP) के प्रत्याशी अरुण कुमार गौतम से जुड़ा है। रीवा निवासी अरुण गौतम की ओर से अधिवक्ता राजमणि मिश्रा ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में पक्ष रखा। उन्होंने आरोप लगाया कि जिला दंडाधिकारी सत्ताधारी दल के हाथ की कठपुतली बनकर काम कर रहे हैं और प्रत्याशी को चुनाव लड़ने से रोकने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कई साल पुराने मामले में पुलिस अधीक्षक ने 19 अक्टूबर को कलेक्टर को रिपोर्ट सौंपी। जिला दंडाधिकारी ने 26 अक्टूबर को याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया। इसके बाद याचिकाकर्ता 3 नवंबर को जिला दंडाधिकारी की कोर्ट में हाजिर हुए और आपत्ति प्रस्तुत की। इससे पहले उन्होंने पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट मांगी,लेकिन उन्हें उपलब्ध नहीं कराई गई।

शासन की ओर से बताया गया कि 7 नवंबर को जिला बदर का आदेश जारी किया गया है। जस्टिस विवेक अग्रवाल ने कहा कि गवाहों के बयान और उनके प्रति परीक्षण का रिकॉर्ड दिखाओ। इस पर शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि रिकॉर्ड बुलाना पड़ेगा। इस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जब मामले में एडवांस नोटिस दिया गया है तो शासकीय अधिवक्ता को रिकॉर्ड के साथ हाजिर होना था। सरकारी मशीनरी को दूसरे पक्ष के प्रति भी निष्पक्ष होना चाहिए। कोर्ट कहा कि चूंकि 17 नवंबर को मतदान है इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ जिला दंडाधिकारी के आदेश पर 20 नवंबर तक रोक रहेगी। जस्टिस अग्रवाल की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को 20 नवंबर के बाद जिला दंडाधिकारी के आदेश के खिलाफ अपील पेश करने की स्वतंत्रता दी और संभागायुक्त को अपील पर सुनवाई के बाद अपील का निराकरण करने के निर्देश दिए है।

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