कलियासोत डेम के जलभराव क्षेत्र में डाले जा रहे श्वान और सुअरों के शव, जानिए कौन कर रहा यह हरकत

भोपाल। कलियासोत डेम के जलभराव क्षेत्र में कुत्तों और सुअरों के शव डाले जा रहे हैं। भदभदा रोड के पास सड़क से लगे हुए कलियासोत डेम के जलभराव क्षेत्र के अंदर 10 से अधिक सुअर और श्वान के कई दिनों पुराने शव पड़े हुए हैं। मामले की शिकायत पर्यावरण कार्यकर्ता राशिद नूर खान ने मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी और नगर निगम कमिश्नर से की है। राशिद ने आरोप लगाया है कि एफटीएल के अंदर नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा ही मृत पशुओं के शव डाले जा रहे हैं। इसके अलावा कई जानवरों के कई दिन पुराने अवशेष भी इस क्षेत्र में पड़े हुए हैं। कई जानवरों के शवाें को बोरी में बंद कर एफटीएल के अंदर फेंका गया है।
घड़ियाल और मगरमच्छ में फैल सकता है संक्रमण
कलियासोत डेम मैं शेड्यूल-5 के वन्य जीव और बड़ी संख्या में मगरमच्छ और घड़ियाल निवास करते है। ऐसें में इन जानवरों द्वारा शवों को खाने से उनमें गंभीर संक्रमण फैल सकता है। इसके अलावा कलियासोत का जल भी इससे प्रदूषित हो रहा है। इसके अतिरिक्त जलभराव क्षेत्र के अंदर बड़ी मात्रा में कचरा भी डाला जा रहा है। जिसके कारण यहां की जैवविविधता पर भी खतरा उत्पन्न हो गया है। राशिद के अनुसार मृत जानवरों के शव नगर निगम के वाहनों द्वारा डाले जा रहे हैं, जबकि नियमानुसार शवों का आदमपुर छावनी में वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण किया जाना चाहिए। सड़ते हुए शवों के कारण पूरे क्षेत्र मे दुर्गंध फैली हुई है।
इन नियमों का किया जा रहा उल्लंघन
नगर निगम कर्मचारियों द्वारा पेयजल स्रोत के जलभराव क्षेत्र में मृत पशुओं के शव डालकर नगरपालिका ठोस अपशिष्ट निपटान नियम 2016, वाटर एक्ट 1974 का खुला उल्लंघन किया जा रहा है।
इनका कहना है
खुले में और पेयजल स्रोत के जलभराव क्षेत्र में मृत पशुओं के शव डाले जाना पर्यावरण विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय अपराध है। ऐसे में दोषियों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा के तहत कड़ी कार्रवाई की जाना चाहिए।
- राशिद नूर खान, पर्यावरण कार्यकर्ता
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