MP हाईकोर्ट से स्कूल और पैरेंट्स दोनों को राहत, प्राइवेट स्कूल ले सकते हैं फीस लेकिन ब्लॉक नहीं करेंगे स्टूडेंट्स की आईडी

भोपाल। हाईकोर्ट से पेरेंट्स को बड़ी राहत मिली है। सोमवार को निजी स्कूलों द्वारा फीस वसूली के संबंध में तमाम याचिकाओं की एक साथ सुनवाई की गई। कोर्ट ने मामले में फैसला आने तक फीस जमा नहीं करने पर किसी भी स्टूडेंट को स्कूल से नहीं निकालने की भी बात कही है।
पालक महासंघ के प्रबोध पांड्या ने बताया कि सुनवाई के दौरान कुछ याचिकाकताओं की ओर से कोर्ट को यह बताया गया कि फीस नहीं भरने पर स्टूडेंट की लॉग-इन-आईडी ब्लॉक की जा रही है। जिससे बच्चा ऑनलाइन कक्षा अटेंड नहीं कर पा रहा है और सिलेबस में अपने साथियों से पिछड़ रहा है। जिसके बाद यह बड़ी राहत दी गई है। फैसला आने तक स्कूल से नहीं निकालने के निर्देश के बाद अब निजी स्कूल फीस जमा नहीं कर पाने वाले स्टूडेंट की लॉग-इन-आईडी भी ब्लॉक नहीं कर पाएंगे।
बता दें कि मामले की सुनवाई के दौरान सभी याचिकाकर्ताओं ने जवाब पेश किया, लेकिन सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) की ओर से जवाब नहीं दिया गया। सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सीबीएसई की ओर से जवाब देने के लिए मोहलत मांगी गई। इस पर हाईकोर्ट ने जवाब पेश करने के लिए समय देते हुए मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 10 अगस्त तय की है।
सरकार ने दिया ये जवाब, सिर्फ ट्यूशन फीस वसूलने का दिया आदेश
हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने अपना जवाब पहले ही दाखिल कर दिया है। सरकार की ओर से दिए गए जवाब में कहा गया है कि लॉकडाउन के बाद सरकार ने दो बार आदेश जारी किए हैं। इन आदेशों के तहत निजी स्कूलों को साफ आदेश दिया गया है कि वे केवल ट्यूशन फीस ही वसूल करें।
गौरतलब है कि याचिका में कहा गया है कि लॉकडाउन के बाद तमाम निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों पर मनमानी फीस वसूली का दबाव बनाया जा रहा है। जबकि इस समय ना तो स्कूल चल रहे हैं और न परीक्षा हो रही है। साथ ही स्कूलों में किसी भी तरह की एक्टिविटी भी नहीं हो रही है। उसके बावजूद निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों पर फीस जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है।
ऑनलाइन और डिजिटल पढ़ाई पर भी रोक लगाने की मांग
याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा केवल ट्यूशन फीस वसूलने के आदेश के बाद निजी स्कूलों ने ट्यूशन फीस भी बढ़ा दी है। इसके साथ-साथ याचिका में यह भी कहा गया है कि ऑनलाइन और डिजिटल पढ़ाई पर भी तत्काल रोक लगानी चाहिए। क्योंकि डब्ल्यूएचओ और तमाम डॉक्टर ये कह चुके हैं कि मोबाइल से पढ़ाई बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक है। इसकी शिकायतें भी लगातार बढ़ती जा रही हैं।
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