Chandrayaan 3: चंद्रयान-3 की आज होगी लैंडिंग, उज्जैन सहित देशभर में पूजा अर्चना जारी, कुछ घंटो में भारत रचेगा इतिहास

उज्जैन ; भरता देश के लिए आज का दिन काफी महत्पूर्ण है। 'चंद्रयान-3' की लैंडिंग को लेकर देशभर में ख़ुशी की लहर है। बता दें कि 14 जुलाई को 'चंद्रयान-3' लांच किया गया था। 40 दिन की सफलता पूर्वक यात्रा के बाद अब 'चंद्रयान-3' की शाम करीबन 6 बजे के आस पास सॉफ्ट लैंडिंग कराइ जाएगी । जिसको लेकर देशभर में पूजा अर्चना की जा रही है। इसी कड़ी में महाकाल की नगरी उज्जैन में भी सॉफ्ट लैंडिंग को लेकर मंदिर में भस्म आरती के दौरान विशेष पूजा दर्शन भी किया गया| बता दें कि चंद्रयान-3 की लांचिंग के लिए भी उज्जैन में 14 जुलाई को अनुष्ठान अभिषेक किया गया था।
सॉफ्ट लैंडिंग के लिए की गई खास पूजा
चंद्रयान-3' को लेकर उज्जैन के पुजारी ने बताया कि भस्म आरती के दौरान श्रद्धालु और भारत वासियों की मनसा अनुसार चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के लिए भगवान महाकाल का पूजन अभिषेक कर भस्म आरती लैंडिंग की उल्टी गिनती शुरू होने के बाद विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के लिए प्रार्थना की गई। इसरो चीफ डॉक्टर एस सोमनाथ बीती 24 मई को उज्जैन आए थे। जहा उन्होंने महाकालेश्वर सहित अन्य मंदिरों में दर्शन किए थे। इसरो प्रमुख ने महाकाल मंदिर में चंद्रयान 3 की सफलता के लिए कामना भी की थी!
23 अगस्त की शाम 6:04 बजे करवाई जाएगी लैंडिंग
भारत महज कुछ ही घंटे में इतिहास के पन्नों में एक नया रिकॉर्ड दर्ज करने जा रही है।' चंद्रयान-3' की लैंडिंग को लेकर भारत का हर एक नागरिक प्राथना कर रहा है। 600 करोड़ रुपये की लगात से तैयार किया गया ये प्रोजेक्ट भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए बेहद जरुरी है। 23 अगस्त की शाम 6:04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी।
उपलब्धि हासिल करने वाला भारत होगा चौथा देश
चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग निश्चित रूप से भारत को स्पेस पॉवर बनाएगी. वहीं, चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के मामले में अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ और चीन के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा. सॉफ्ट लैंडिंग में अब बस कुछ ही घंटों की देरी है।
जानें क्यों कराई जा रही शाम को लैंडिंग
ISRO चीफ डॉ. एस. सोमनाथ ने बताया कि हम जिस समय विक्रम लैंडर को चांद की सतह पर उतार रहे हैं. उस समय धरती पर शाम होगी लेकिन चांद पर सूरज उग चुका होगा.ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि लैंडर को 14 से 15 दिन सूरज की रोशनी मिले. ताकि वह ढंग से सारे साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट्स कर सके.
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