48 साल पुराने नर्सिंग होम एक्ट में हुआ बदलाव, जानिए डाक्टरों के नर्सिंग होम जाने के लिए क्या हो गए नियम

भोपाल। प्रदेश सरकार ने 48 साल पुराने नर्सिंग होम एक्ट में बड़ा बदलाव किया है। अब आयुष (आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी और सिद्धा) चिकित्सक एलोपैथी का नर्सिंग होम नहीं खोल सकेंगे। इसी तरह से एलोपैथी चिकित्सक भी आयुष का नर्सिंग होम नहीं खोल पाएंगे। अब यह भी तय कर दिया गया है एक रेसीडेंट डाक्टर सिर्फ एक अस्पताल में ही सेवा दे सकेगा। इसके पहले 1973 से लागू पुराने एक्ट में यह स्पष्ट नहीं था। इसका फायदा उठाकर एक डाक्टर का कई अस्पतालों में नाम दर्ज रहता था।
निजी अस्पतालों के सामने संकट
इस सख्ती के बाद अब पहले से संचालित कई निजी अस्पतालों के बंद होने की नौबत आ जाएगी। अस्पताल के नवीनीकरण के साथ ही उन्हें नई शर्तों का पालन करना होगा। भोपाल में नर्सिंग होम्स की जांच में यह सामने आया था कि एक रेसीडेंट डाक्टर का नाम चार से लेकर 12 अस्पतालों में दर्ज है। इस आधार पर एमपी आनलाइन से उन्हें पंजीयन मिला है।
यह है नई व्यवस्था
- डाक्टर, नर्स या अन्य कर्मचारी जिनकी जानकारी पंजीयन के दौरान दी है, उनके नौकरी छोड़ने की जानकारी फौरन सीएमएचओ को देनी होगी।
- नर्सिंग होम के पंजीयन की फीस 10 बिस्तर के लिए पहले 600 रुपये थी, जिसे बढ़ाकर 3000 रुपये कर दिया गया है।
- सौ बिस्तर या इससे कम वाले नर्सिंग होम के लिए 25 फीसद बिस्तर आक्सीजन वाले रखने होंगे।
-ओपीडी में औसतन 50 से ज्यादा मरीज होने पर एक अतिरिक्त चिकित्सक होना चाहिए।
- रेसीडेंट डाक्टर का नाम व योग्यता स्वागत काउंटर पर आम लोगों की जानकारी के लिए प्रदर्शित की जाएगी।
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