मप्र मानव संग्रहालय के समय में हुआ परिवर्तन, अब एक फरवरी से 31 अक्टूबर तक रात 8 बजे तक खुलेगा

भोपाल। मप्र की जनजातियों के जीवन, देशज ज्ञान, कला परंपरा और सौन्दर्यबोध की विशिष्टता को स्थापित करने तथा उसकी बहुरंगी, बहुआयामी संस्कृति को बेहतर रूप से संयोजित करने का कार्य जनजातीय संग्रहालय में किया गया है। संग्रहालय की विभिन्न दीर्घाओं में मप्र के जनजातीय समुदायों के आवास के वास्तुगत, शिल्पगत और व्यवहारगत रूपों को प्रदर्शित किया गया है। संग्रहालय में 6 अलग-अलग कलाओं और शिल्प माध्यमों की दीर्घाएं हैं, जिनमें जनजातीय जीवन की झलक, उनके परिवेश, खेल, संस्कृति, देवलोक आदि देखने को मिलते हैं। प्रत्येक दीर्घा में जिज्ञासुओं, शोधार्थियों के लिए कियोस्क स्थापित किए गए हैं, जिससे उस दीर्घा विशेष के बारे में हिंदी अथवा अंग्रेजी में विस्तार से जाना-समझा जा सकता है।
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