बच्ची के साथ रेप के बाद भी नहीं चल पा रहा स्कूल बसों में चेकिंग अभियान, जानिए क्या है इसकी वजह

बच्ची के साथ रेप के बाद भी नहीं चल पा रहा स्कूल बसों में चेकिंग अभियान, जानिए क्या है इसकी वजह
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राजधानी भोपाल में स्कूल बस के चालक द्वारा तीन साल की बच्ची के साथ विगत दिनों रेप की घटना सामने आई थी। इसके बाद 19 सिंतबर से राजधानी सहित प्रदेशभर में परिवहन विभाग को स्कूल बस चेकिंग अभियान चलाया जाना था। लेकिन परिवहन विभाग में अमले की कमी के चलते यह चेकिंग शुरू नहीं हो सकी। परिवहन सूत्रों के अनुसार भोपाल सहित प्रदेशभर के सभी आरटीओ में करीब 45 फीसदी पद खाली है। भोपाल आरटीओ में उड़नदस्ते में सिर्फ चार अधिकारी-कर्मचारी बचे हैं। इन पर पूरे भोपाल संभाग में वाहनों की चेकिंग की जिम्मेदारी है।

भोपाल। राजधानी भोपाल में स्कूल बस के चालक द्वारा तीन साल की बच्ची के साथ विगत दिनों रेप की घटना सामने आई थी। इसके बाद 19 सिंतबर से राजधानी सहित प्रदेशभर में परिवहन विभाग को स्कूल बस चेकिंग अभियान चलाया जाना था। लेकिन परिवहन विभाग में अमले की कमी के चलते यह चेकिंग शुरू नहीं हो सकी। परिवहन सूत्रों के अनुसार भोपाल सहित प्रदेशभर के सभी आरटीओ में करीब 45 फीसदी पद खाली है। भोपाल आरटीओ में उड़नदस्ते में सिर्फ चार अधिकारी-कर्मचारी बचे हैं। इन पर पूरे भोपाल संभाग में वाहनों की चेकिंग की जिम्मेदारी है।

अमला कम होने से बंद हो जाती है चेकिंग

अमला कम होने से कई बार वाहनों के चेकिंग अभियान बीच में बंद हो जाते हैं। बिना ट्रैफिक पुलिस की मदद लिए वाहनों की अच्छे से जांच नहीं हो पाती। आरटीओ उड़नदस्ते में अभी एक परिवहन निरीक्षक, एक एसआई, एक हवलदार और एक सिपाही हैं। इन चारों अधिकारी-कर्मचारियों पर भोपाल संभाग में वाहनों की चेकिंग की जिम्मेदारी है। इसमें भोपाल, राजगढ़, रायसेन, विदिशा, सीहोर जिले शामिल हैं। इस समस्यां से एक दिन पहले हुई परिवहन विभाग की बैठक में परिवहन विभाग के अला-अधिकारी ने उच्च अधिकारियों को अवगत कराया है। जिसके बाद प्रमुख सचिव अला-अधिकारियों से जल्द ही खाली पदों को लेकर प्रस्ताव बनाकर भेजने के लिए कहा है।

एक अधिकारी के पा तीन से 8 जिलों का प्रभार

हर साल तीन हजार करोड़ से ज्यादा की कमाई कर सरकारी खजाना भरने वाले प्रदेश के परिवहन विभाग में आरक्षक से लेकर अधिकारी तक के 760 से अधिक पद कई साल से खाली हैं। परिवहन विभाग सूत्रों के अनुसार विभाग में स्वीकृत पदों की संख्या 1700 है। इनमें से 950 पदों पर ही अधिकारी, कर्मचारी पदस्थ हैं। नतीजा, कई जिलों में न तो क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी हैं और न ही सहायक परिवहन अधिकारी इसके चलते एक अधिकारी पर कहीं तीन जिलों का प्रभार है । तो कहीं 8 जिलों का। परिवहन विभाग के सूत्रों का कहा है कि इसी वजह से स्कूल बस चेकिंग सहित अन्य अभियान सही तरह से नहीं चल पाते है।

यह है खाली पदों की संख्या

क्षेत्रीय उप परिवहन आयुक्त 10 07

अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी 35 30

क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी 38 32

एआरटीओ 64 15

परिवहन निरीक्षक 70 39

एसआई 102 68

संयुक्त परिवहन आयुक्त प्रशासन, लेखाधिकारी कर एवं संपरीक्षा के पद भी खाली है।

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