छठ पूजा का समापन: उदय होते भगवान सूर्य को दिया अर्घ्य, 60 स्थानों पर हुए कार्यक्रम

भोपाल। भोजपुरी समाज की महिलाओं द्वारा भोजपुरी गीत गाए जा रहे थे। माथे से मांग तक भरा सिंदूर और सोलह श्रृंगार किए महिलाएं बड़े और छोटे तालाब की लहरों में सूर्योदय का इंतजार कर रही थीं। आकाश में लालिमा छाने लगी, जैसे ही सूर्योदय हुआ श्रद्धालु अर्घ्य देते हुए महिलाओं ने पुत्र व पति के आरोग्य, सुख समृद्धि की कामना की। इस तरह का नाजारा सोमवार को शीतलदास की बागिया व बरखेड़ा में सरस्वती मंदिर छठ घाट सहित अन्य घाटों पर छठ पर्व महोत्सव के दौरान दिखाई दिया। राजधानी में बनाए गए करीब 60 से अधिक छठ घाटों पर गंगा घाट जैसी झलक दिखाई दे रही थी। रविवार की शाम को सूर्यास्त पर अर्घ्य देने के बाद भोजपुरी समाज ने रात जागरण किया और सोमवार को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया।
छठ पर्व संपन्न
छठी मइया का आशीर्वाद पाकर सुहागिनों ने 36 घंटे का निर्जला व्रत खोला। इसके साथ ही भोजपुरी समाज के छठ पूजा महोत्सव का समापन हो गया। सुहागिनों ने उगते हुए सूर्य को गाय के दूध से अर्घ्य दिया। व्रत का पारायण किया। घुटने तक पानी में खड़े होकर व्रतधारियों ने सूप, बांस की डालिया में मौसमी फल गन्ना सहित पूजन सामग्री और गाय के दूध से भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और सुख समृद्धि की कामना की। छठ पूजा के दूसरे दिन उगते सूरज को अर्घ्य देने के लिए घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। शीतलदास की बागिया और छोटो तालाब के खटलापुरा, काली मंदिर घाट सहित अन्य स्थानों पर सूर्योदय से पहले ही श्रद्धालु जमा होने लगे थे। मुख्य कार्याक्रम शीतलदास की बगिया में छठ पूजा का आयोजन किया। इस मौके पर उन्होंने घाटों पर सफाई अभियान चलाकर स्वच्छता का संदेश दिया। इसी तरह बिहार सांस्कृतिक परिषद के तत्वावधान में भेल, बरखेड़ा में सरस्वती मंदिर छठ घाट में विशाल छठ पूजा का भव्य आयोजन किया गया। राजधानी भोपाल में करीब साढ़े 3 लाख से अधिक लोगों ने सबसे कठिन 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा।
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