घायल तेंदुए की हालात हुआ सुधार,भोपाल से ग्वालियर तक छाई खुशी की लहर

भोपाल। ग्वालियर चिड़ियाघर से विगत दिनों गंभीर हालात में एक मादा तेंदुआ भोपाल वन विहार इलाज के लिए लाई गई थी। जिसकी हालात में अब पहले से सुधार हो रहा है। इसलिए उसके पैर को कटाने की योजना को अभी निरस्त कर दी गई है। इस खबर से भोपाल से लेकर ग्वालियर के वन विहार पार्क के अलावा वन्य जीव प्रेमियों में खुशी की लहर देखने को मिल रही है। वन विहार की डॉक्टरों की टीम 5 फरवरी को एक बार फिर जांच करेंगे। इसके बाद उसके पैर कटने या नहीं इस पर निर्णय लेंगे। जानकारी के अनुसार ग्वालियर के पास शिकारियों ने उसे फंदे (लोहे से बना शिकंजा) में फंसाकर उसका जीवन नर्क बना दिया। पिछले बायें पैर के पंजे की अंगुलियां टूट गई हैं। जिसके बाद वन विहार नेशनल पार्क में लगाया गया। जहां पर जिंदगी और मौत से जूझ रही है। वन्यप्राणी विशेषज्ञों की टीम उसे बचाने में जुटी थी। वन विहार के डिप्टी डायरेक्टर एके जैन ने बताया कि माता तेंदुए का डॉ. अतुल गुप्त,वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ.सुनील कुमार तुमडिया,वरिष्ठ पशु चिकित्सा सल्यज्ञ एवं डॉ.रजत कुलकर्णी एवं सहयोगी दल द्वारा माता तेंदुए का एक्सरे कर यह निश्चित कर व गहन परीक्षण वनविहार के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष किया गया। जिसमें पाया गया कि उसके घाव में काफी सुधार है। अब आने वाले दिनों में फिर से 7 से 10 दिन बाद फिर परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद पैर काटने को लेकर निर्णय लिया जाएगा।
सुअर मारने के लिए लगाए थे फंदे
स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि ग्वालियर के शीतला माता मंदिर क्षेत्र से सटी वन सीमा में शिकारियों ने सुअर मारने के लिए लोहे के फंदे लगाए थे। ये जमीन के अंदर लगाए जाते हैं। ये लोहे के बने होते हैं। इनमें बाइक के क्लच वायर और स्प्रिंग का उपयोग होता है। जैसे ही इन पर दबाव पड़ता है तो ये स्वत: बंद हो जाते हैं। तेंदुए का पैर पड़ते ही फंदा बंद हो गया और उसमें पंजा फंस गया था। वन विभाग और स्थानीय लोगों की नजर पड़ने के बाद तेंदुए को पकड़ा और ग्वालियर चिड़ियाघर के बाद भोपाल वन विहार शिफ्ट कर दिया था।
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