MP election 2023 : गोगपा-बसपा गठबंधन से बैकफुट पर कांग्रेस, जयस से करेगी समझौता

MP election 2023 : गोगपा-बसपा गठबंधन से बैकफुट पर कांग्रेस, जयस से करेगी समझौता
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बहुजन समाज पार्टी और गोडवाना गणतंत्र पार्टी के बीच हुए चुनावी समझौते से कांग्रेस सतर्क है और बैकफुट पर भी। वजह है आदिवासी वोट। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीटों में अच्छा प्रदर्शन किया था।

दिनेश निगम 'त्यागी'

भोपाल। बहुजन समाज पार्टी और गोडवाना गणतंत्र पार्टी के बीच हुए चुनावी समझौते से कांग्रेस सतर्क है और बैकफुट पर भी। वजह है आदिवासी वोट। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीटों में अच्छा प्रदर्शन किया था। कह सकते हैं कि इन सीटों की बदौलत ही कांग्रेस सत्ता पर आ गई थी। इस चुनाव में कांग्रेस ने जयस (जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन) के साथ आंशिक समझौता किया था। आंशिक इस मायने में कि कांग्रेस ने जयस प्रमुख हीरालाल अलावा को पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा दिया था और वे विधायक भी बन गए थे। कांग्रेस को इसका फायदा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की हर सीट पर मिला था। लेकिन इस बार हालात बदले हुए हैं। जयस ने प्रदेश की 80 सीटों पर लड़ने का ऐलान कर रखा है। संगठन का कहना है कि इन सीटों पर आदिवासी वर्ग का असर है। दूसरी तरफ बसपा का गोगपा के साथ समझौता हो गया है। ऐसे में कांग्रेस के पास जयस से समझौता करने के सिवाय दूसरा विकल्प नहीं है। इसके लिए कांग्रेस लचीला रुख अपनाने के लिए तैयार है। 80 तो नहीं लेकिन कांग्रेस जयस को एक दर्जन तक विधानसभा सीटें दे सकती है।

कांग्रेस के पास 47 में से 27 सीटें

विधानसभा में इस समय कांग्रेस के पास आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 में से 27 सीटें हैं और भाजपा के पास सिर्फ 16। इससे पहले 2008 और 2013 के चुनाव में भाजपा ने 47 में से 31-31 सीटें जीती थीं। साफ है कि आदिवासी वर्ग पिछले चुनाव में कांग्रेस के साथ जुड़ा था, इसकी एक वजह जयस का साथ होना भी था। अब जबकि बसपा का गोगपा से समझौता हो गया है। गोगपा के एक नेता पूर्व विधायक स्व मनमोहन शाह बट्टी की बेटी मोनिका बट्टी भाजपा में शामिल होकर अमरवाड़ा सीट से चुनाव लड़ रही है। ऐसे में यदि दूसरे आदिवासी संगठन जयस ने भी अपना अलग रास्ता चुना तो कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है। इसीलिए कांग्रेस अब किसी भी हालत में जयस के साथ समझौता करना चाहती है। कांग्रेस और जयस के बीच बातचीत भी शुरू हो चुकी है। बातचीत में कमलनाथ के साथ पार्टी के प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला भी शरीक हैं।

समझौता तय, सीटों पर बात अटकी

जानकारी के अनुसार कांग्रेस की जयस के साथ कई दौर की बातचीत हो चुकी है। बस सीटों को लेकर पेंच फंसा है। कांग्रेस कम सीटें देना चाहती है और कुछ सीटों पर जयस के प्रत्याशियों को कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ाना चाहती है, जिस तरह पिछली बार हीरालाल अलावा लड़े थे। जयस इस बार इसके लिए तैयार नहीं है। वह दो दर्जन से कम सीटों पर मानने को तैयार नहीं है। जयस चुनाव भी अपने अलग चुनाव चिन्ह पर लड़ना चाहता है। बहरहाल, एक दो दिन में इस मसले पर अंतिम बातचीत हो जाने की खबर है। हालांकि जयस संगठन भी गोगपा की राह पर है और पिछले दिनों दो फाड़ हाे गया था। एक खेमे का नेतृत्व डा आनंद राय कर रहे थे। जयस ने आदवासियों के बीच अपनी अच्छी जगह बनाई है।

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