बड़े तालाब किनारे 27 गांवों में तालाब किनारे निर्माण, पंचायतों में नहीं दी जा रही परमिशन

बड़े तालाब किनारे 27 गांवों में तालाब किनारे निर्माण, पंचायतों में नहीं दी जा रही परमिशन
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नगर निगम क्षेत्र में बड़े तालाब के 50 मीटर दायरे में किए जा रहे निर्माणों को लेकर पहले से ही लापरवाही बरती जा रही है। इधर तालाब किनारे बसे पंचायतों के गांवों में भू-माफिया इसका सीधा फायदा उठा रहे हैं। हालात यह हैं कि पंचायतों में निर्माण की परमिशन नहीं ली जाती है, जिससे तालाब किनारे बड़ी-बड़ी बिल्डिंग तानी जा रही हैं।

पंचायतों का फायदा उठाकर तालाब में निर्माण जारी

भोपाल। नगर निगम क्षेत्र में बड़े तालाब के 50 मीटर दायरे में किए जा रहे निर्माणों को लेकर पहले से ही लापरवाही बरती जा रही है। इधर तालाब किनारे बसे पंचायतों के गांवों में भू-माफिया इसका सीधा फायदा उठा रहे हैं। हालात यह हैं कि पंचायतों में निर्माण की परमिशन नहीं ली जाती है, जिससे तालाब किनारे बड़ी-बड़ी बिल्डिंग तानी जा रही हैं। तालाब किनारे ऐसे करीब 27 गांव हैं, जहां तालाब के कैचमेंट एरिया में निर्माण जारी हैं।

तालाब के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से और कोलांस नदी और कोलांस की सहायक नदियों से 250 मीटर की दूरी तक के क्षेत्र को पर्यावरण के लिहाज से सबसे ज्यादा संवेदनशील माना है। इस क्षेत्र में किसी निर्माण की अनुमति नहीं दी जाना चाहिए, हालांकि इस क्षेत्र में लगातार निर्माण जारी हैं। प्लानिंग एरिया में शामिल गांवों में भी ग्राम पंचायतों के माध्यम से निर्माण की अनुमति मिल जाती है। सीमांकन न होने से गांवों के ऐसे क्षेत्र जिनका पानी तालाब या कोलांस नदी में नहीं आता है वह भी कैचमेंट में शामिल माना गया है। लेकिन इन गांवों में निर्माण की परमिशन नहीं ली जाती है। तालाब और कोलांस से 500 मीटर से ज्यादा दूरी वाले क्षेत्र में रातीबड़, नीलबड़, सेमरी बाजयाफ्त, खुरचनी, चैनपुरा, टीलाखेड़ी शामिल हैं।

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