consumer commission case : खाते से नहीं काटी बीमा प्रीमियम राशि अब बैंक को देने होंगे 4.15 लाख रुपए

भोपाल। बीमित महिला की मौत के बाद उसके नाॅमिनी को बैंक द्वारा भुगतान से इंकार के मामले में जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष योगेश दत्त शुक्ल एवं सदस्य प्रतिभा पाण्डेय की बेंच ने ने उपभोक्ता को राहत दी है। आयोग ने पाया कि बैंक द्वारा पाॅलिसी की अवधि समाप्त होने के बाद बीमित महिला के खाते से समय पर बीमा प्रीमियम की राशि आटो रिन्यूअल के माध्यम से काटी जानी चाहिए थी, जो नहीं काटी गई। इस लापरवाही को उपभोक्ता आयोग ने बैक की सेवा में कमी बताया है। बीमित उपभोक्ता की मौत के बाद नाॅमिनी द्वारा प्रस्तुत किए गए आवेदन पर फैसला सुनाते हुए उपभोक्ता आयोग ने बैंक को आदेश दिए हैं कि वह दो माह के भीतर नाॅमिनी को 4 लाख रूपए की बीमाधन राशि का भुगतान करे।
9 प्रतिशत सालाना ब्याज भी देना होगा
इसके साथ ही मानसिक परेशानी की क्षतिपूर्ति के लिए 10 हजार रुपए और परिवाद व्यय के 5 हजार रुपए अदा करे। दो माह के भीतर राशि अदा नहीं करने की स्थिति में 9 प्रतिशत सालाना ब्याज भी देना होगा। यह फैसला सुनाया है।
यह है पूरा मामला
दरअसल, भोपाल के वल्लभ नगर निवासी बृहस्पति पटेल द्वारा भारतीय स्टेट बैंक, शाखा प्रबंधक, हबीबगंज शाखा, भोपाल के विरुद्व जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया था। परिवादी ने बताया कि उनकी माता गुलाब कली पटेल का एक बचत खाता बैंक में है। सितंबर 2014 को गुलाब कली पटेल को बैंक ने बताया था कि एक बीमा योजना चालू की गई है, जिसका सालाना प्रीमियम 200 रूपए है। यह खाते से काट ली जाएगी। अलग से प्रीमियम जमा करने की जरूरत नहीं होगी। खाताधारक की मौत होने की स्थिति में नाॅमिनी को 4 लाख रूपए की राशि दी जाएगी। परिवादी को नाॅमिनी बनाया गया था।
बीमा की 4 लाख रूपए की राशि मांगी
बैंक ने कहा खाताधारक के खाते से प्रीमियम राशि नहीं काटी गई, इसलिए भुगतान में कठिनाई मामले में 10 अक्टूबर 2014 को परिवादी की मां गुलाब कली पटेल का एक दुर्घटना में निधन हो गया। जिसकी सूचना पुलिस को देने के साथ ही बैंक को भी दी गई और नाॅमिनी होने के आधार पर विपक्षी से बीमा की 4 लाख रूपए की राशि मांगी गई, लेकिन बैंक द्वारा बीमा राशि का भुगतान नहीं किया गया। बैंक द्वारा कहा गया कि खाताधारक के खाते से प्रीमियम राशि नहीं काटी गई, इसलिए भुगतान करने में कठिनाई है।
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