मिथकों, अनुष्ठानों एवं परम्पराओं का समकालीन सृजन दिखा पार्वती के चित्रों में

भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय द्वारा प्रतिमाह लिखन्दरा प्रदर्शनी दीर्घा में प्रदेश के जनजातीय चित्रकारों पर एकाग्र चित्र प्रदर्शनी आयोजित की जाती है। इसी क्रम में इस माह गोण्ड समुदाय की युवा चित्रकार पार्वती परस्ते के चित्रों की प्रदर्शनी शलाका 22 का प्रदर्शन किया जा रहा है। यह चित्रकला प्रदर्शनी 28 फरवरी तक जारी रहेगी। प्रदर्शनी में युवा चित्रकार के द्वारा बनाये 27 चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। उनके चित्रों में नीम वृक्ष एवं पक्षी, नीम वृक्ष एवं हाथी समूह, पीपल वृक्ष एवं जल पीते पक्षी, मढ़िया में देव-देवी, वर्षा की आस में चातक पक्षी, वृक्ष एवं पशु-पक्षी, वृक्ष एवं पक्षी, वृक्ष तले विश्राम करता बैल एवं रमोली पक्षी, वृक्ष, भैंस एवं पक्षी जोड़ जैसे कई विषय देखने को मिलते हैं।
चटक रंगों के साथ ही श्वेत श्याम का संयोजन है खास
पार्वती को जनजातीय मिथकों के साथ वन्य जीव जगत को चित्रित करने में अधिक आनंद आता है। उनके इन चित्रों को जातीय मिथकों,अनुष्ठानों एवं परम्पराओं का समकालीन सृजन कहा जा सकता है, क्योंकि ये चित्र किसी भी समकालीन चित्रों से कहीं से भी कम नहीं अपितु जनजातीय चेतना का एक कलात्मक उदहारण हैं। पार्वती के चित्रों ने बहुत कम समय में स्वयं के लिए एक स्थान निर्मित किया है। चटक रंगों के साथ ही श्वेत श्याम का संयोजन इनके चित्रों को आकर्षक बनाता है। वर्ष 2012 से पार्वती परस्ते भोपाल, नयी दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर आदि समेत देश भर के विभिन्न शहरों की कला दीघार्ओं में अपने चित्रों का प्रदर्शन कर चुकीं हैं।
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