कोरोना ने बदली जिंदगी : बच्चों में कम हो रहा सोशल बिहेवियर, हर माह सामने आ रहे 25 से 30 केस

कोरोना ने बदली जिंदगी : बच्चों में कम हो रहा सोशल बिहेवियर, हर माह सामने आ रहे 25 से 30 केस
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विषय विशेषज्ञों का कहना : पहले हर माह 6 से 8 केस आते थे सामने, अब 3 साल के बच्चे से लेकर 16 साल किशोर भी शामिल

भोपाल। कोरोना संक्रमण ने जहां एक ओर समाज के हर वर्ग के व्यक्ति की आर्थिक स्थिति पर मार की है, तो वहीं इस महामारी ने लोगों की दिनचर्या पर भी बड़ा गहरा असर डाला है। लगातार कोविड-19 से बचाव के विज्ञापन एवं घर पर सोशल डिस्टेंसिंग, चीजें शेयर ना करने और एक्स्ट्रा सफाई की सख्त हिदायतें बच्चों के लिए जारी है। ऐसे में इन सब चीजों से बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हुए है और इसके साइड इफेक्ट भी सामने आने लगे हैं। विषय विशेषज्ञों की माने तो इन सबके बीच अब बच्चों का सोशल बिहेवियर खत्म होता जा रहा है। बच्चे साफ-सफाई, डिस्टेंसिंग और पर्सनल स्पेस को लेकर इतना पजेसिव हो रहे हैं कि चीजें अपने हिसाब से नहीं होने के पर आक्रामक और चिड़चिड़े हो रहे हैं।

यह कहते हैं मनोवैज्ञानिक :

किशोर क्लिनिक भोपाल के मनोवैज्ञानिक दिव्या दुबे मिश्रा ने बताया कि उनके पास छोटे बच्चों और टीनएजर्स से जुड़े ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं। बीते माह में करीब 20 ऐसे केस आए हैं। स्कूल शुरू होने से बच्चों का बिहेवियर स्पष्ट रूप से सामने आ रहे है। वह आॅब्सेसिव कंपल्सिव डिसआॅर्डर का शिकार हो रहे हैं। बच्चे को इससे बाहर लाना जरूरी है वरना उम्र बढ़ने के साथ उनके लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी। वहीं मनोवैज्ञानिक डॉ. दीप्ति सिंघल का कहना है कि बच्चों में इस बिहेवियर का कारण उनके रोल मॉडल खासकर माता-पिता और आस-पास का आॅब्जर्वेशन है। बीते माह की बात करें तो करीब 15 केसेस ऐसे आए हैं। इसमें तीन साल जितने छोटे बच्चे भी हैं। डर इनके दिलों-दिमाग में बैठ गया है। ऐसे केसेस में ध्यान ना देने पर ताउम्र समस्या बनी रह सकती है। हालांकि बच्चों के जरूरत के लिहाज से हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

स्कूल खुलने के बाद हुई बढोत्तरी :

कोरोना संक्रमण की स्थिति में सुधार होने के बाद अब परिवारों की सोशल एक्टिविटी बढ़ गई और स्कूल भी खुल गए हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में पेरेंट्स काउंसलर्स से संपर्क कर रहे हैं। राजधानी में जहां सामान्य दिनों में इस प्रकार के मामले 6 से 8 ही सामने आते थे, लेकिन इनका आंकड़ा बढ़कर हर माह 25 से 30 तक हो गया है।

इस प्रकार के मामले आ रहे सामने :

पहला मामला : एक तीन वर्षीय बच्ची के पैरेंट ने अपनी बच्ची के व्यवहार में हुए बदलावा को देखते हुए काउंसलर से संपर्क किया। पैरेंट्स ने काउंसलर को बताया कि बच्ची घर से बाहर नहीं निकलने देना चाहती, ना उसे किसी का घर आना बर्दाश्त है। उसकी एक ही रट है कि कोरोना हो जाएगा। यदि मना करें तो रिएक्ट करने लगती है। ऐसे में बड़ी समस्या पैदा हो गई है।

दूसरा मामला : काउसलर्स के पास पहुंच एक मामले में सामने आया कि आठ साल की बच्ची ने ममेरे भाई के हाथों पर राखी बांधने और उसे मीठा खिलाने से इसलिए इंकार कर दिया कि कहीं उसे कोरोना न होे जा। उस समय उसका व्यवहार बेहद असामान्य था। ऐसे में अब पैरेंट ने उसे स्कूल भेजना शुरू किया है ताकि कोरोना का डर निकले, लेकिन बच्ची यदि किसी अन्य बच्चे को बिना सेनेटाइज किए सामान छूते देखती है तो उग्र हो उठती है।

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