Datia ganesha temple : दतिया का प्राचीनतम गणेश मंदिर जहां हैं रत्न से बने तंत्र गणेश

रिपोर्ट राजीव मिश्रा
दतिया। भगवान श्री गणेश का जन्मोत्सव गणेश मंदिरों में पूरी आस्था और हर्ष उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश का जन्मोत्सव 7 दिन तक मनाया जाता है। भगवान श्री गणेश के भक्त जगह-जगह पंडाल लगाकर भगवान गणेश को विराजमान करते हैं और फिर आरती पूजन भजन कीर्तन के साथ यह आयोजन लगातार 7 दिन तक देखने को मिलते हैं। मध्यप्रदेश के दतिया में तकरीबन 300 साल पुराना गणेश मंदिर है। और यह तंत्र गणेश के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में अति प्राचीन भगवान गणेश की प्रतिमा तमाम विशेषताओं को लिए हुए है। यहां मंदिर में स्थापित गणेश प्रतिमा मूंगा के पत्थर से बनी हुई हैं। इस गणेश मंदिर का निर्माण सन 1744 से 1746 के बीच हुआ है। दतिया राजघराने के पांचवें राजा इंद्र सिंह जूदेव द्वारा इस मंदिर को बनवाया गया है। दतिया में स्थित यह प्राचीन भगवान गणेश की प्रतिमा अनोखी है और कई नामों से जानी जाती है। भारत में इस प्रकार की तंत्र गणेश प्रतिमाएं बहुत कम ही है। गणेश मंदिर में प्रति बुधवार भक्तों की अधिक भीड़ होती है लेकिन आज सुबह से ही प्राचीन गणेश मंदिर में भक्तों के आने का सिलसिला बना हुआ है और 7 दिन तक यहां गणेश भक्तों की खासी भीड़ रहेगी। हम अपनी इस खास रिपोर्ट में भगवान गणेश के इस प्राचीन मंदिर में दर्शन कराएंगे और इस मंदिर का महत्व बताएंगे।
मंदिर के दर्शन
गणेश चतुर्थी को भगवान शिव के पुत्र श्री गणेश भगवान का सुबह 5 बजे अभिषेक, पूजन किया गया और 8 बजे आरती हुई। तकरीबन तीन सौ-साढ़ै तीन सौ साल पुराने इस गणेश मंदिर में भक्तों के आने का सिलसिला बना हुआ है। मूंगा पत्थर(रत्न) से निर्मित यह प्रतिमा अपने आप में अनोखी है। गणेश मंदिर में प्राचीन बावड़ी भी है जो हमेशा पानी से लबालब रहती है। भगवान श्री गणेश के भक्त मंदिर के चारों ओर फैली हरियाली का भी आनंद लेते हैं और भजन-कीर्तन में अपना समय बिताते हैं।
यह है इस मंदिर का महत्व
गणेश मंदिर के पुजारी अनुराग पुरोहित से जब हमारे रिपोर्टर राजीव मिश्रा ने बात की तो उन्होंने बताया कि चल रहे इस भादो के महीने में भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था, इसे गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। दतिया के गणेश मंदिर में प्रतिमा बहुत खास है, इतिहासकारों की माने तो पूरे भारतवर्ष में शायद ही कहीं इस प्रकार की मूर्ति पाई जाती हो। यह तंत्र के गणेश हैं। यह विजय गणेश है। इनकी खास विशेषताएं यह है की एक हाथ में कमल का पुष्प है जो देवी लक्ष्मी का प्रतीक है। तो वही दूसरे हाथ में फरसा है जो शत्रु विनाशक का प्रतीक है। यहां भगवान श्री गणेश अपने तीसरे हाथ में वेद को धारण किए हुए हैं जो ज्ञान का प्रतीक है, इसलिए यह ज्ञान दाता भी है। भगवान श्री गणेश अपने चौथे हाथ में माला धारण किए हुए हैं जो भजन मुद्रा के साथ-साथ भक्ति, श्रद्धा और आस्था को बढ़ाने वाली है। यह अनोखी प्रतिमा है जिसके बारे में कहा जाता है कि अगर कोई पांच बुधवार इस मंदिर में आकर अपनी हाजिरी लगाता है तो भगवान श्री गणेश उसकी सभी मनोकामनाओं को पूरा कर देते हैं। भगवान श्री गणेश का विशेषताओं से भरा यह मंदिर मध्य प्रदेश के दतिया में स्थित है।
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