DENGUE CASE; MP के भोपाल और ग्वालियर में बरपा डेंगू का कहर, आकड़ा पहुंचा 1000 के पार, स्वास्थ्य विभाग में मचा हड़कप

भोपाल; मध्यप्रदेश में डेंगू का आतंक लगातार बढ़ता ही जा रहा है। आए दिन प्रदेश के अलग अलग जगह से डेंगू के हैरान करने वाले अकड़े सामने आ रहे है। इसी कड़ी में डेंगू के सबसे अधिक संक्रमितों की संख्या ग्वालियर और भोपाल से सामने आई है। जहां पर संक्रमितों का अकड़ा 1000 के पार पहुंच चुका है। जिसमे भोपाल में एक्टिव मरीजों की संख्या 810 पहुंच गई है। तो वही ग्वालियर में संक्रमितों का अकड़ा 1000 के पार पहुंच चुका है। लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ विभाग की चिंता बढ़ती ही जा रही है। जिसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
डेंगू के मामले बैरागढ़ और बाग सेवनिया क्षेत्र में अधिक
राजधानी भोपाल में ठंड के चलते मौसमी बिमारी और डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। अस्पताल में डेंगू के मरीज के साथ वायरल फीवर के मामले अधिक आ रहे है। जिसकी वजह से अस्पतालों में बेड भरते जा रहे हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल के अंत तक एक्टिव मरीजों की संख्या पिछले कोई सालों के रिकॉर्ड तोड़ सकती है। वहीं सबसे ज्यादा डेंगू के मामले बैरागढ़ और बाग सेवनिया क्षेत्र में मिली है।
पिछले 24 घंटे में डेंगू के 29 नए मरीज मिले
मध्य प्रदेश में सबसे अधिक मामले ग्वालियर से सामने आ रहे है। पिछले 24 घंटे में डेंगू के 29 नए मरीज मिले है। वहीं जयारोग्य और जिला अस्पताल में 65 सैंपल की जांच हुई जिसमें 10 बच्चों सहित 29 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई। बतादें कि, पीड़तों में ग्वालियर जिले के 15 मरीज और अन्य जिलों के 14 मरीज इसमें शामिल है। इन नए मामलों के बाद जिले में डेंगू का बढ़कर आंकड़ा 1100 तक पहुंचा।
डेंगू के गंभीर होने पर लक्षण
डेंगू का मामला गंभीर होने पर डेंगू हेमोरेजिक फीवर (Dengue Hemorrhagic Fever) का खतरा बढ़ जाता है और शरीर में प्लेटलेट्स काउंट तेजी से डाउन होने लगते हैं। अगर ऐसी स्थिति बनती है तो ये लक्षण दिखने लगते हैं-
- तेज पेट दर्द
- लगातार उल्टी होना
- मसूड़ों या नाक से रक्तस्राव
- मूत्र, मल या उल्टी में खून आना
- त्वचा के नीचे रक्तस्राव होना, जो चोट जैसा नजर आ सकता है
- सांस लेने में कठिनाई
- थकान महसूस करना
- चिड़चिड़ापन या बेचैनी
ऐसे करें बचाव
घरों में कूलर आदि तमाम जगहों पर पानी जमा न होने दें. हफ्ते में कम से कम दो बार इसे बदलें.
पीने का पानी किसी बर्तन में जमा है तो उस बर्तन को हमेशा ढककर रखें.
फुल बाजू के कपड़े पहनें और बच्चों और बुजुर्गों को खासतौर पर पहनाएं.
सोते समय मच्छरदानी का या मॉस्किटो रेपलेंट्स का इस्तेमाल करें.
घर की खिड़की और दरवाजों को खुला न रखें. वेंटिलेशन के लिए उनमें जाली लगवाएं.
किसी भी तरह के लक्षण दिखें तो विशेषज्ञ को दिखाएं, खुद किसी की सलाह से दवा न लें.
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