Dhanteras 2023 : रोशनी के पांच दिनी त्यौहार दीपावली महोत्सव का होगा शुभ आरंभ

भोपाल। इस बार धनतेरस विशेष योग में शुक्रवार को मनेगी। इसके साथ ही पंचदिवसीय दीपोत्सव आरम्भ हो जाएगा। दिवाली से पहले धनतेरस के दिन दिन कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा होगी। पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि 10 नवंबर को धनतेरस और धन्वंतरि जयंती रहेगी। इस दिन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के जनक भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है। धनतेरस पर अमृत, प्रीति और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसा अक्षय लक्ष्मी कारक योग है। सूर्यास्त शाम 5.29 बजे से लेकर अगले दो घंटे 24 मिनट तक प्रदोष मुहूर्त में हर छोटी से छोटी या बड़ी से बड़ी खरीदी अक्षय लक्ष्मी का कारक बनेगी। त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर को दोपहर 12.35 बजे से आरंभ होगी, जो 11 नवंबर को दोपहर 1.57 बजे समाप्त होगी।
नरक-रूप चतुदर्शी
11 नवंबर शनिवार को मनाई जाएगी। जिसका शुभ व श्रेष्ठ मुहूर्त 5.15 से 6.29 तक रहेगा। चौमक दीपक लगाकर दक्षिण दिशा में पूजा पाठ की जाएगी। शनिवार होने के कारण शनि एवं हनुमानजी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ दिखाई देगी।
दीपावली महालक्ष्मी पूजा का शुभ समय
पंडित आचार्य प्रधान ने बताया कि 12 नवंबर रविवार के दिन दीपावली पूजा लक्ष्मी कुबेर पूजन करना सर्वश्रेष्ठ फल देगा।
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त - 12 नवंबर शाम 5 बजकर 38 मिनट से 7 बजकर 35 मिनट तक।
निशिता काल मुहूर्त - 12 नवंबर की रात्रि 11 बजकर 35 मिनट से 13 नवंबर रात 12 बजकर 32 मिनट तक।
प्रदोष काल - शाम 05 बजकर 29 मिनट से 08 बजकर 08 मिनट तक।
वृषभ काल - शाम 05 बजकर 39 मिनट से 07 बजकर 35 मिनट तक।
चौघड़िया पूजा मुहूर्त - अपराह्न मुहूर्त (शुभ का चौघड़िया) 12 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 26 मिनट से 02 बजकर 46 मिनट तक।
गोवर्धन पूजा, अन्नकूट 14 को अन्नकूट
इस बार अमावस्या के चलते 14 को गोवर्धन पूजा व अन्नकुूट पर्व मनाया जाएगा। गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजा की जाती है। पशुधन की पूजा का विशेष महत्व है। घरों और मंदिरों में अन्नकूट व छप्पन भोग लगाए जाते हैं। इसे धूप पड़वा भी कहते हैं। बड़े बुजुर्गों से आशीर्वाद लिया जाता है। गाय और भैंसों की पूजा की जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस दिन का विशेष महत्व है। भाईदूज का त्यौहार 15 नवंबर को पांच दिवसीय दीपोत्सव का समापन भाईदूज पर्व के साथ 15 नवंबर बुधवार को होगा। इस दिन यम ने बहन यमुना को रक्षा का वचन दिया था, इसलिए इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। इस दिन बहनें भाइयों को घर बुलाकर भोजन करवाती हैं और तिलक लगाकर आरती उतारती हैं। भाई बहन को उपहार देते है। चित्रगुप्त की पूजा होगी। कायस्थ समाज द्वारा कलम दवात की पूजा होगी।
अक्षय पात्र खरीदने का विधान
समुद्र मंथन में महालक्ष्मी के साथ धनवंतरी अक्षय पात्र लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए अक्षय पात्र के रूप में बर्तन खरीदने का विधान है। उस बर्तन व अक्षय पात्र में रखी गई वस्तुएं कभी समाप्त नहीं होती। इसलिए अक्षय पात्र की खरीदारी करना शुभ होता है। वहीं महालक्ष्मी के भंडारी कुबेर की पूजा-अर्चना के साथ रत्न जवाहरात के साथ आभूषण खरीदना फलदायी एवं स्थिरता सूचक माना गया है।
धनतेरस पर राशि के अनुसार खरीदें सामान
मेष: स्वर्ण, रजत या उपहार।
वृषभ: सजावट की सामग्री, वाहन, किचन के सामान।
मिथुन: देव प्रतिमा, हरा रत्न।
कर्क: मोती, स्वणार्भूषण, घर-प्लाट।
सिंह: लाकर, अलमारी, वाहन, कम्प्यूटर, चांदी के आभूषण।
कन्या: गैस चूल्हा या किचन का सामान, पन्ना, घर या प्लाट।
तुला: सजावटी के सामान, बड़े पर्दे, सोने की अंगूठी।
वृश्चिक: देव मंदिर, सजावट सामग्री, मूंगा और स्वर्णहार।
धनु: माता के लिए आभूषण, पुखराज, लक्ष्मी यंत्र।
मकर: यंत्र, वाहन, आभूषण।
कुंभ: घड़ा, चौड़े मुंह के पात्र, सिंहासन।
मीन: मोती और पुखराज, वाहन, वस्त्र, घर या प्लाट।
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