द कश्मीर फाइल्स मामले में दिग्विजय की एंट्री, राही मासूम रजा को लेकर कही यह बात

भोपाल। द कश्मीर फाइल्स को लेकर ट्वीट के कारण भाजपा नेताओं के निशाने पर आए आईएएस नियाज खान का समर्थन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने अलग ढंग से किया है। विवाद में एंट्री मारते हुए उन्होंने महाभारत की स्क्रिप्ट लिखने वाले राही मासूम रजा को याद किया। उन्होंने बताने की कोशिश की कि नफरत फैलाने वालों की संख्या मोहब्बत का पैगाम देने वालों से काफी कम है। बस ईमानदारी से प्रयास करते रहने की जरूरत है।
रजा ने पहले स्क्रिप्ट लिखने से कर दिया था इंकार
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक ट्वीट जारी कर कहा कि डॉ. राही मासूम रजा को जब बीआर चौपड़ा ने महाभारत सीरियल की स्क्रिप्ट लिखने के लिए संपर्क किया था तो उन्होंने इनकार कर दिया था। जब यह खबर अखबारों की सुर्खियां बनी और रजा से संपर्क के लिए चौपड़ा की आलोचना हुई चौपड़ा ने आलोचकों के खतों को राही मासूम रजा के पास भेज दिया। प्रतिक्रियाओं के पत्र देखने के बाद रजा स्क्रिप्ट लिखने को तैयार हो गए। उन्होंने कहा कि वे गंगा पुत्र हैं और वे ही महाभारत की स्क्रिप्ट लिखेंगे।
सीरियल बना तो पत्रों का लगा अंबार
सिंह ने कहा कि डॉ. राही मासूम रजा ने महाभारत की स्क्रिप्ट लिखी और सीरियल जब प्रसारित हुआ तो लोगों ने जो खत भेजे, उनमें जमकर तारीफ की गई। लोगों ने दुआएं दीं। उन पत्रों के कई गट्ठर बन गए। सिंह ने कहा कि डॉ. रजा ने अपनी मेज के किनारे पत्रों के गट्ठर रख लिए थे। एक छोटा सा गट्ठर मेज के एक किनारे पर रखा था। जब उनसे पूछा गया कि यह क्या है तो उन्होंने जवाब दिया कि ये वो पत्र हैं जिनमें उन्हें लोगों ने अभद्र भाषा लिखी थीं। उनमें कुछ हिंदू भी थे जिन्होंने धमकी दी थी कि तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुसलमान होकर महाभारत लिखने की और मुसलमानों की नाराजगी यह थी कि मुसलमान होकर तुमने हिंदुओं की किताब क्यूं लिखी। सिंह ने कहा कि डॉ. रजा का मानना था कि छोटा गट्ठर उन्हें हौंसला देता है कि मुल्क में बुरे लोग कितने कम हैं।
आज भी नफरत फैलाने वाले कम
दिग्विजय सिंह ने अंत में कहा है कि आज भी नफरत फैलाने वालों की संख्या कम है और उनका गट्ठर बहुत छोटा है जबकि मोहब्बत पैगाम देने वाले बहुत ज्यादा। सिंह ने कहा कि नफरत फैलाने वालों को मोहब्बत के रास्ते पर लाने के लिए निडर होकर प्रयास करना चाहिए। यह रास्ता कठिन जरूर है लेकिन असंभव नहीं है। आखिर में जीत मोहब्बत और भाईचारे की ही होगी।
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