2 स्कुलों में अव्यवस्था, खुली डीपी पर मानव अधिकार आयोग ने लिया संज्ञान

हरिभूमि भोपाल समाचार: शहर की ताजुल मसाजिद के पास वर्ष 1913 में बने उबेदिया हाईस्कूल में घुसते ही पुलिसकर्मीआने की वजह पूछते हैं। वो क्योंकि यहां बैलेट बॉक्स रखे हैं। इस दो मंजिला स्कूल में 8 साल से बच्चों की क्लास गैलरी में लग रही है। यहां की प्राचार्या कहती हैं कि एक कमरे को छोड़ बाकी 10 कमरों और दो हॉल में बैलेट बॉक्स रखे हैं। वर्ष 2015 में जिला प्रशासन ने केवल दो कमरे लिए थे। उसके बाद धीरे-धीरे पूरे स्कूल पर कब्जा हो गया। बारिश में बच्चों की छुट्टी करना पड़ती है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर, भोपाल से जांच कराकर की गई कार्यवाही का जवाब मांगा है।
जहांगीरिया स्कूल की गिरने का रहता है खतरा
इब्राहिमपुरा में जहांगीरिया स्कूल वर्ष1895 का बना एक हेरिटेज स्कूल है। यहां की प्राचार्याकहती हैं कि यहां अचानक कभी भी छत का प्लास्टर या दीवार गिर जाती है। दूसरी मंजिल में बने कमरों में मलबे के ढेर लग चुके हैं। इसी के ठीक नीचे कम्प्यूटर और लैब पर तो पैसे खर्चकिए जा रहे हैं, लेकिन स्कूल की मरम्मत की सुध किसी ने नहीं ली। वे कहती हैं कि स्कूल के अधिकांश कमरे अब किसी काम के नहीं हैं। मामले में संज्ञान लेकर आयोग ने आयुक्त अथवा संचालक, स्कूल शिक्षा संचालनालय, भोपाल से जवाब मांगा है।
कई महीनों से खुली है डीपी, हादसे का खतरा
शहर के ऐशबाग स्टेडियम के पास रोड किनारे एक बिजली का डिस्ट्रीब्यूटर बॉक्स (डीपी) बीते कई महीने से खुला पड़ा है। जिस रोड पर यह डीपी मौजूद है, उसका जुड़ाव एक दर्जन से अधिक कालोनियों से है। इन्हीं कालोनियों के रहवासी रोजाना इसी रोड से आवाजाही करते हैं। स्कूल आने-जाने वाले बच्चे खेलते-खेलते डीपी के बेहद करीब पंहुच जाते हैं। वहीं जानवर भी इसके आसपास घूमते रहते हैं। ऐसे में हमेशा किसी बड़े हादसे की आशंका बनी रहती है। मानव अधिकार आयोग ने मामले में संज्ञान लेकर कार्यपालन यंत्री, मध्य क्षेत्र विविकंलि, भोपाल से की गई कार्यवाही के संबंध में जवाब मांगा है।
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