बड़ी खबर : मरीज को डॉक्टरों ने दो बार बताया मृत, मुक्तिधाम पहुंचे परिजनों को पता चला कि सांस नहीं थमी

बड़ी खबर : मरीज को डॉक्टरों ने दो बार बताया मृत, मुक्तिधाम पहुंचे परिजनों को पता चला कि सांस नहीं थमी
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कोरोना को लेकर हालात बेकाबू और खौफनाक होते जा रहे हैं, इस बीच इस स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है जो इस दौर में अस्पताल में होने वाली मौतों को संदेह के घेरे में कड़ी करती हैं क्योंकि अधिकतर मरीजों को कोरोनावायरस से पीड़ित बताकर बॉडी को पैक कर दिया जाता है और अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। पढ़िए पूरी खबर-

विदिशा। कोरोना वायरस का संक्रमण पैर पसारते जा रहा है। कोरोना को लेकर हालात बेकाबू और खौफनाक होते जा रहे हैं। बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है, जिसको सुनकर कोई भी हैरत में पड़ जाएगा। दरअसल एक अस्पताल में एक व्यक्ति को दो बार स्वास्थ्य विभाग ने मृत घोषित कर दिया। जब परिजन शव लेने पहुंचे तो पता चला कि जिंदा है। उधर अंतिम संस्कार के लिए रिश्तेदार मुक्तिधाम में एकत्रित हो गए थे।

मामला विदिशा के अटल बिहारी वाजपेई मेडिकल कॉलेज का है, जहां मंगलवार की रात में मेडिकल कालेज के स्टाफ ने 58 वर्षीय गोरेलाल कोरी को मृत घोषित कर दिया था। 58 साल के गोरेलाल कोरी को 12 अप्रैल को शाम को सांस लेने में तकलीफ थी और इसी वजह से वह मेडी कल कॉलेज में भर्ती किए गए थे।

गोरेलाल के परिजन कहते हैं कि हमने अपने पिता को गले में खराश और सर्दी होने की बात पर मेडिकल कॉलेज में लेकर आए थे, जहां इन्होंने पिताजी को वेंटिलेटर पर रख दिया फिर थोड़ी देर बाद का कि आपके पिताजी की मौत हो गई है। हम लोग दौड़े-दौड़े अस्पताल गए हमको हमारे पिता को दिखाया जाए तब कहने लगे कि अभी उनकी सांसे चल रही हैं। वेंटिलेटर पर हैं उनके गले का ऑपरेशन किया जाएगा। हमने कहा ऑपरेशन कर दीजिए फिर ऑपरेशन किया फिर डॉक्टर ने बताया कि ऑपरेशन करते ही उनकी मौत हो गई है, तब हमने कहा हमारे पिता को दिखाओ तब फिर उन्होंने कहा कि आपके पिता अभी जीवित हैं और उनकी सांसे चल रही है लेकिन सीरियस है। इसी बीच परिजन बताते हैं कि हमें दो-दो बार जब मौत की झूठी खबर दी गई। हम डॉक्टरों की बात को सही माने और हमारे दूसरे परिजन बेतवा नदी के मुक्तिधाम पर लकड़ी जमाने पहुंच गए थे। वहां से बार-बार कॉल आ रहा था की डेड बॉडी मुक्तिधाम जल्दी लेकर आ जाओ हमने यहां तैयारी कर ली हैं लेकिन तब हमने कहा कि दोबारा भी डॉक्टर कह रहे हैं पिताजी जीवित और वह वेंटीलेटर पर सांसे ले रहे हैं।

जब इतनी बड़ी गलती की जानकारी बाहर आई तो अब मेडिकल कॉलेज के डीन कहने लगे सांसे रुक गई थी लेकिन जब दोबारा हार्ट को हाथ से पंपिंग किया गया तो वह फिर से सांसे चलने लगी लेकिन अब भी मरीज गंभीर हालत में है। जबकि अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों के हाथों में मरीज को मृतक बता कर मृत्यु प्रमाण पत्र आदि दस्तावेज भी हाथ में उपलब्ध करा दिए थे अब लीपापोती का कार्य चल रहा है।

गौरतलब है कि कोरोना महामारी के चलते किसी भी स्थिति में मरीज को दिखाया नहीं जाता डॉक्टर जो कह देता है, मरीज उसको ईश्वर का आदेश मानकर स्वीकार कर लेते हैं। यह घटना इस दौर में अस्पताल में होने वाली मौतों को संदेह के घेरे में कड़ी करती हैं क्योंकि अधिकतर मरीजों को कोरोनावायरस से पीड़ित बताकर बॉडी को पैक कर दिया जाता है और खुद की एंबुलेंस में ले जाकर प्रबंधन मुक्तिधाम में लकड़ियां जमाकर उस पर शव रख देते हैं और इसके बाद अंतिम क्रिया संपन्न हो जाती है। ऐसे में मरीज कौन सा है, कैसा है, किसी को पता नहीं लगता। मृत है या जीवित है यह भी पता नहीं चलता।

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