राजस्थान बॉर्डर सील होने से MP के मरीजों की बढ़ी परेशानियां, 100 से अधिक गांव के लोग मजबूर

राजस्थान बॉर्डर सील होने से MP के मरीजों की बढ़ी परेशानियां, 100 से अधिक गांव के लोग मजबूर
X
राजस्थान में एंट्री पर लगे बैन से सबसे ज्यादा परेशानी इन क्षेत्रों की प्रसूताओं को हो रही है। क्योंकि इससे पहले केस में परेशानी होने पर उन्हें झालावाड़ ही रैफर किया जाता था। सीमा के समीप बसे इन लोगों का मानना है कि यदि उन्हें कोविड जांच रिपोर्ट चाहिए तो उन्हें करीब 50 किलोमीटर का सफर तय कर तहसील मुख्यालय सुसनेर जाना पड़ेगा, और कम से कम एक दिन बाद ही रिपोर्ट उन तक पहुंचेगी। ऐसे में उनके मरीज की हालत और बिगड़ जाती है। पढ़िए पूरी खबर-

आगर मालवा। कोरोना की रोकथाम के लिए मध्यप्रदेश और राजस्थान की सीमा पर राजस्थान सरकार द्वारा लगाई गई एंट्री पर रोक ने मध्यप्रदेश के सैकड़ों मरीजों की परेशानी बढ़ा दी है। दरअसल मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले के करीब 100 से अधिक गांव नजदीकी व सर्व सुविधायुक्त के कारण इलाज के लिए राजस्थान के झालावाड़ पर निर्भर है। झालावाड़ के मेडिकल कॉलेज में मध्यप्रदेश के 60 फीसदी मरीज कोरोना सहित अन्य बीमारियों का इलाज करा रहे हैं। इनकी लगातार बढ़ती संख्या और कोरोना की रोकथाम के लिए राजस्थान प्रशासन द्वारा मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यो से आने वाले लोगों के लिए कोरोना की 72 घण्टे भीतर की नेगेटिव आरटीपीसीआर रिपोर्ट को अनिवार्य किया है।

इसके चलते आगर मालवा जिले के अंतिम छोर पर बसे डोंगरगांव से 3 किलोमीटर दूर मध्यप्रदेश की सीमा समाप्त होते ही राजस्थान प्रशाषन ने सीमा पर जांच चौकी बनाई गई है। जहाँ पर राजस्थान के झालवाड़ जिले की पुलिस सहित स्वास्थ्य विभाग व शिक्षा विभाग से भी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। इस टीम के द्वारा लगातार वाहनों की सघन जांच की जा रही है।

मध्यप्रदेश की ओर से जो भी वाहन राजस्थान में प्रवेश कर रहे है उनमें सवार लोगों से जांच टीम द्वारा कोरोना की आरटीपीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट मांगी जा रही है, जिनके पास जांच रिपोर्ट नहीं है उन्हें सीमा से ही लौटाया जा रहा है। कई वाहनों को हमारी टीम के सामने ही वापस लौटा दिया गया। केवल मालवाहक वाहनों को बिना किसी जांच रिपोर्ट के जाने दिया जा रहा है।

आगर मालवा जिले का अंतिम छोर एक तरफ से राजस्थान की सीमा से लगा हुआ है। सीमा के समीप बसे अधिकांश ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए राजस्थान के झालावाड़ पर निर्भर है। इन ग्रामीणों का मानना है कि झालावाड़ के मेडिकल कालेज में सभी तरह की जांच हो जाती है और डाक्टर व स्टाफ भी पर्याप्त है और इन गांवों से पास भी है। जबकि इससे उलट इन ग्रामों के नजदीक आगर मालवा जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, उप स्वास्थ्य केंद्रों में न डॉक्टर पर्याप्त है न व्यवस्थाएं। यदि मरीज को ज्यादा परेशानी होती है तो इन ग्रामों से करीब 80 किलोमीटर दूर आगर के जिला अस्पताल ले जाया जाता है। वहां भी कोरोना के गंभीर मरीजो को जांचने की सिटी स्कैन जैसी मशीन उपलब्ध नहीं है नतीजतन वहां से भी 60 किलोमीटर दूर उज्जैन की ओर रुख करना होता है।

प्रसूताओं को करना पड़ रहा परेशानियों का सामना

राजस्थान में एंट्री पर लगे बैन से सबसे ज्यादा परेशानी इन क्षेत्रों की प्रसूताओं को हो रही है। क्योंकि इससे पहले केस में परेशानी होने पर उन्हें झालावाड़ ही रैफर किया जाता था। सीमा के समीप बसे इन लोगों का मानना है कि यदि उन्हें कोविड जांच रिपोर्ट चाहिए तो उन्हें करीब 50 किलोमीटर का सफर तय कर तहसील मुख्यालय सुसनेर जाना पड़ेगा, और कम से कम एक दिन बाद ही रिपोर्ट उन तक पहुंचेगी। ऐसे में उनके मरीज की हालत और बिगड़ जाती है।

राजस्थान में एंट्री पर बैन लगने के कारण मध्यप्रदेश सरकार के स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर दावों की पोल तो खुल रही है। सरकार का अंतिम पंक्ति तक सुविधाओं का दावा यहां के हालातों से खोखला ही नजर आता है। सरकारी आंकड़े चाहे कुछ और ही बयां कर रहे हो पर इन ग्रामो में पिछले दिनों मौत के वास्तविक आंकड़े कुछ और ही हैं। इन सब के पीछे स्वास्थ्य सेवाओं में कमी से इंकार नहीं किया जा सकता। राजस्थान सरकार द्वारा कोरोना रोकथाम के प्रयास इस सीमा पर कड़े नजर आते हैं परंतु मध्यप्रदेश में ऐसे कोई प्रयास नहीं देखने को मिले है। मध्यप्रदेश की सीमा पर किसी प्रकार की जांच नहीं की जा रही और न ही कोई जांच चौकी दिखाई दी है।

Tags

Next Story