kuno park: कूनों पार्क में चीतों की मौत का असर, आसपास की जमीनों के दामों में हो रही गिरावट

kuno park: कूनों पार्क में चीतों की मौत का असर, आसपास की जमीनों के दामों में हो रही गिरावट
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कूनो राष्ट्रीय वन अभ्यारण में अबतक चीतों की मौत की घटनाओं और बचे हुए चीतों को अन्य जगह बसाने की खबरों से क्षेत्र में हालात बदलते हुए देखे जा रहे हैं। जंगल क्षेत्र के आसपास जमीनों के दाम अब घटने लगे हैं।

श्योरपुर। कूनो राष्ट्रीय वन अभ्यारण (kuno national park) में अबतक चीतों (chetas) की मौत की घटनाओं और बचे हुए चीतों को अन्य जगह बसाने की खबरों (news) से क्षेत्र (areas) में हालात (situations) बदलते हुए देखे जा रहे हैं। जंगल क्षेत्र के आसपास जमीनों के दाम अब घटने लगे हैं।

यहां पुराने कमिटमेंट और एग्रीमेंट जो पहले काराये गये थे, उन पर असर पड रहा है। कूनो पार्क की श्योपुर जिला मुख्यालय से दूरी लगभग 75 किलोमीटर की है। सरकार के प्रोजेक्ट चीता की शुरुआत से पहले यहां जमीनों की कीमत बढ़कर 10 लाख रुपये प्रति बीघा तक पहुंच गई थी।

नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीतों के आगमन पर जमीन के मालिकों ने जमीनों के दाम 20 से 25 लाख रुपये प्रति बीघा तक कर दिया था। अब बदलते हालातों के चलते यहां जमीनों के दामों में गिरावट देख जा रही है।

पर्यटकों का रूझान भी हुआ कम

सरकार ने जब कूनो पार्क में चीतों को बसाया था उस दौरान पार्क के आसपास की जमीन की कीमतों में जबरदस्त उछाल आ गया था। जमीनों की कीमतें दस गुना तक बढ़ गई थी। स्थानीय लोगों को पर्यटन और रोजगार की संभावनाएं बढ़ने के भी आसार लगे।

जिसके लिए बाहर के कई लोगों ने यहां की जमीनों को मंहगे दामों में खरीदा और एग्रीमेंट भी करा लिया था। परन्तु अब यहां हालात पूरी तरह से बदल गए हैं। पिछले 3 महीनों से चीतों और उनके शावकों की मौत की सूचनाओं के चलते पर्यटकों का रूझान भी यहां कम हुआ है।

पार्क के आसपास के 25 किसानों द्वारा जमीनों का सौदा तय कर दिया गया था। जिसमें कुछ ही खरीददारों द्वारा रजिस्ट्री प्रक्रिया कराई गई थी। गांवों में जमीन के सौदे के लिए पहले बड़े-बड़े व्यापारियों का आवागमन भी बना हुआ था परन्तु अब चीतों की शिफ्टिंग की सूचना से जमीनों के दाम घट रहे हैं।


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