इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाने वाली कंपनी को ही नष्ट करना होगा ई-कचरा

भोपाल। इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाने वाली कंपनियों को ही अब ई कचरा नष्ट करना होगा। केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा एक अप्रैल से ई-वेस्ट निस्तारण को लेकर नए नियम जारी किए गए हैं। नए नियमों के तहत ई उपकरण बनाने वाली कंपरियों को ही 60 से 80 प्रतिशत तक ई कचरे का भी निस्तारण करना होगा और इसकी सलाना रिपोर्ट भी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को देनी होगी। इसके अलावा कंपनियां बैटरी और अन्य ई-उपकरण बनाते समय पर्यावरण के लिए हानिकारक उत्पादों का उपयोग भी नहीं कर सकेंगे। इन उत्पादों का उपयोग करते पाए जाने पर भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा पांच श्रेणियों में बांटकर ई-वेस्ट की संख्या 21 से बढ़ाकर 106 कर दी गई है।
इन उत्पादों के प्रयोग से बचना होगा :
नए नियमों के तहत इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाते समय उत्पादक को यह सुनिश्चित करना होगा कि उपकरण और कलपुर्जे बनाते समय सीसा, पारा, हेक्सावेलेट क्रोमियम, कैडमियम, पॉलीब्रोमिनेटेड डाइफिनाइल ईथर जैसे पदार्थों का उपयोग या तो नहीं करना होगा। या फिर इनका वजन सामग्री के वजन के 0.1 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। इसके अलावा कैडमियम का वजन 0.01 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।
इस कारण जरूरी है नया नियम :
वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण का कोई स्पष्ट नियम निर्धारित नहीं है और आम लोग भी जानकारी न होने के कारण कबाड़ वालों को ई कचरा दे देते हैं, जिससे इन्हें हानिकारक तरीके से नष्ट किया जाता है। इस कारण अनजाने में ही प्रदूषण फैलता है। नए नियमों में निस्तारण को लेकर भी स्पष्ट नियम रहेंगे। इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्माता कंपनी को उत्पादन शुरू करने से पूर्व प्रदूषण नियंत्रण मंडल में पंजीकरण करना होगा। इससे निर्माण के साथ-साथ निस्तारण की भी जानकारी मंडल को मिलेगी।
नए नियमों के तहत उत्पादक कंपनी को ही ई कचरे का निस्तारण करना होगा। खतरनाक पदार्थों का भी उपयोग कम होगा। इससे ई-कचरे से होने वाला प्रदूषण रुकेगा और नियमों का पालन न करने पर कार्रवाई होगी। नए नियम एक अप्रैल से लागू कर दिए गए हैं।
- ब्रजेश शर्मा, क्षेत्रीय अधिकारी मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
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