निलंबन के 2 दिन बाद ही कर्मचारी बहाल, परिवहन आयुक्त को खुद का आदेश निरस्त करना पड़ा...

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के हाई कोर्ट द्वारा जारी अवमानना नोटिस को परिवहन आयुक्त के समक्ष पेश नहीं करने पर आयुक्त ने लापरवाही के आरोप में कार्यालय अधीक्षक की 1 साल की वेतन वृद्धि को रोकने और टैक्स प्रभारी को निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया। इसके दो दिन बाद परिवहन आयुक्त ने अपने ही आदेश को निरस्त कर कर्मचारियों को फिर से बहाल किया।
दरअसल, हाई कोर्ट का यह आदेश तीन फरवरी को आयुक्त कार्यालय पहुंचा था, लेकिन इस आदेश को परिवहन आयुक्त के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया। कार्यालय अधीक्षक दिलीप शर्मा ने पांच फरवरी को पत्र विधि शाखा को भेज दिया था। यह पत्र सबसे पहले आयुक्त को दिखाया जाना था, लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में विभाग के कर्मचारी संक्रमित हो गए। कोर्ट से जो सूचना आई थी, उसका पत्र टैक्स प्रभारी पवन जैन के पास पहुंच गया। उन्होंने पत्र पर ध्यान नहीं दिया और हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हो सका।
इसके बाद बस आपरेटरों ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर दी। अवमानना याचिका का नोटिस पहुंचने पर आयुक्त ने जानकारी मांगी और समय पर उनके तक नोटिस नहीं पहुंचाने की लापरवाही में अधीक्षक दिलीप शर्मा की 1 साल की वेतन वृद्धि को रोकने का आदेश दिया। वहीं सहायक वर्ग प्रथम पद पर कार्यरत पवन जैन को निलंबित करने के आदेश जारी किया गया।
आदेश के अनुसार दोनों कर्मचारियों को नोटिस भी जारी चुके थे। जिसके बाद दोनों कर्मचारी अपनी सफाई देने पहुंचे। पूरी जानकारी आयुक्त को दी गई। उसके बाद पाया कि कर्मचारियों की गलती नहीं है। इसके चलते परिवहन आयुक्त ने अपने ही आदेश को निरस्त करते हुए दिलीप और पवन दोनों को बहाल कर दिया।
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