विधानसभा के पांच दिवसीय शीत सत्र में पूछेंगे जाएंगे 1506 सवाल

मध्यप्रदेश विधानसभा का पांच दिवसीय शीतकालीन सत्र सोमवार यानि की 19 दिसम्बर से शुरु हो रहा है। विपक्षी दल कांग्रेस के अविश्वास प्रास्तव की सूचना सहित सदन में सत्ता व विपक्षी दल केे विधायकों ने 1506 सवाल मंत्रियों से पूछे है। सत्ता धारी दल भाजपा और कांग्रेस ने सदन में एक दूसरे के खिलाफ मुखर रहने की तैयारी भी पूरी कर ली है। रविवार को दोनों दलों ने अपने विधायक दल की बैठक को बुलाकर रणनीति तय करने का निर्णय लिया है।
हंगामेदार सत्र के आसार के बीच भाजपा और कांग्रेस विधायकों ने सरकार के मंत्रियों से 1506 सवाल पूछे है। इनमें से 794 सवाल तारांकित है,तो 712 अतारांकित सवाल किए गए है। इसी तरह विधायकों ने 211ध्यानाकर्षण पर सदन में चर्चा कराने का आग्रह किया है। पांच स्थगन प्रस्ताव भी विधानसभा सचिवालय को प्राप्त हुए है,तो 139 पर चर्चा के लिए पांच प्रस्ताव भी दिए गए है। नौ याचिकाओं के अलावा विधानसभा सचिवालय के पास 4 विधेयक भी पहुंच चुके है,जिन्हें सदन के पटल पर रखा जाना हैं। इनमें से आवास एवं नगरीय विकास व राजस्व विभाग के एक-एक विधेयक शामिल है।
उधर कांग्रेस ने भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की पूरी तैयारी कर रखी है। पीसीसी की तरफ से विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव की जिम्मेदारी नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह को सौपी गई है,जिनके साथ पूर्व विधायक पारस सकलेचा को भी लगाया गया है। इसके लिए विपक्ष ने जहां कई तथ्यों के साथ अपनी तैयारी की है,तो प्रदेश् सरकार ने भी इससे निपटने के लिए अधिकारियों के साथ लगातार बैैठक कर विपक्ष के हमले की हवा निकालने की तैयारी की है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी मंत्रियों और अधिकारियों के साथ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर रणनीति पर चर्चा की थी और उन्होंने कांग्रेस की ओर से लगाए जाने वाले आरोपों को ध्यान में रखकर तर्कसंगत जवाब तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
बिना अवरोध सदन चले प्रयास रहेगा: विधानसभाध्यक्ष गौतम
मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम का कहना है कि हमारा सभी दलो से आग्रह करेंगे कि विधानसभा चलाइए,क्योंकि बाहर जाकर यह कहने से हम चाहते है कि विधानसभा चले,लेकिन सरकार नहीं चलने देती,इससे काम नहीं चलेगा। विधानसभा चलने से विधायक जनता की अपेक्षा को बात सदन में रख सकते है। मैं समझता हूं कि जनता की बात रखने का विधानसभा से बड़ा कोई दूसरा प्लेटफार्म नहीं है। सारे विधायकों को अपनी बात रखने का अवसर मिलता है और
वहीं सरकार की भी जवाबदेही तय होती है,उनकी बातों का निराकरण करने की जिम्मेदारी बढ़ती है। तो सरकार को जवाबदेह बनाने के लिए हमें अपनी जिम्मेदारी को इमानदारी से निभाना चाहिए। तीन विधायकों के मामले पर विधानसभाध्यक्ष गौतम ने कहा कि तीनों के प्रकरण अलग-अलग है उनमें जो भी कानूनी प्रावधान है उस आधार पर जांच की जा रही है।
सरकार चर्चा से भागना चाहती है: नेता प्रतिपक्ष
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ.गोविंद सिंह ने कहा कि सरकार मुद्दों पर चर्चा से भागना चाहती है,इसलिए लगातार छोटे सत्र आहुत किए जा रहे हैं। क्योंकि सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है। इसके एक नहीं अनेक मामले हैं। निर्माण कार्यों में अनियमितता से लेकर कर्मचारियों के साथ भी अन्याय हो रहा है। ओबीसी वर्ग को अब तक 27 फीसदी आरक्षण नहीं मिला है। अनूसूचित जाति-जनजाति के व्यक्तियों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ी हैं। इसके अलावा प्रदेश में बहुचर्चित ई-टेंडरिंग मामला हो या फिर पूरक पोषण आहार की गड़बड़ी सबके सामने है। डॉ. सिंह ने कहा कि जितनी अवधि का सत्र बुलाया जाता है उतना ही नहीं चलाया जाता है।
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