आरटीई की फीस प्रतिपूर्ति के लिए अब स्कूलों को देनी होगी ऑनलाइन कक्षाएं चलाने की फोटो और शपथ पत्र

भोपाल। शिक्षा का अधिकार अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की फीस प्रतिपूर्ति के लिए अब स्कूल प्रबंधन को कोरोना संक्रमण काल में ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करने का शपथ पत्र देना होगा। इसके साथ ऑनलाइन कक्षा संचालन का एक फोटो भी अपलोड करना होगा। आॅनलाइन कक्षा संचालन नहीं होने की स्थिति में स्कूल को फीस प्रतिपूर्ति की पात्रता नहीं होगी। यह नई व्यवस्था सत्र 2020-21 की फीस प्रतिपूर्ति के लिए राज्य शिक्षा केंद्र ने लागू की है। जिसको पूरा करने में अब निजी स्कूलों के पसीने छूट रहे हैं और इसका विरोध शुरू हो गया है।
दरअसल, कोरोना संक्रमण काल में प्रदेश की स्कूली शिक्षा व्यवस्था में कई बदलाव करने के बाद अब राज्य शिक्षा केंद्र ने भी आरटीई के तहत निजी स्कूलों में सत्र 2020-21 में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के फीस प्रतिपूर्ति प्रपोजल तैयार करने प्रक्रिया को लेकर नए दिशा-निर्देश स्कूलों के लिए जारी किए हैं। आरएसके ने कहा है कि सत्र 2020-21 का फीस प्रतिपूर्ति प्रपोजल केवल बायोमेट्रिक मशीन से बच्चे का आधार सत्यापन करने के बाद ही तैयार किया जा सकेगा। स्कूलों को आॅनलाइन कक्षा संचालित करने सबंध में 100 रूपए के स्टांप पेपर पर शपथ पत्र देना होगा। आॅनलाइन कक्षा संचालन नहीं होने की स्थिति में स्कूल को फीस प्रतिपूर्ति की पात्रता नहीं होगी। सत्र 2020-21 में बच्चे का जिस कक्षा के लिए फीस प्रतिपूर्ति प्रपोजल तैयार किया जा रहा है, बच्चे की उसी कक्षा के उत्तीर्ण होने के प्रतिशत/ग्रेड के सामने अंक सूची की स्केन प्रति अपलोड करना होगी। बच्चे के आधार सत्यापन तथा सत्र में 75 प्रतिशत से अधिक उपस्थिति होने पर बच्चे का नाम फीस प्रतिपूर्ति प्रपोजल तैयार करने के लिए प्रदर्शित होगा। स्कूल के प्राधानाध्यापक द्वारा डिजीटल हस्ताक्षर से फीस प्रतिपूर्ति प्रपोजल लॉक किया जाएगा।
झूठी जानकारी निकली तो होगी कारवाई :
आरएसके के अनुसार आधार सत्यापन के बाद आॅनलाइन कक्षा के कुल दिवस तथा बच्चे की वार्षिक उपस्थिति दर्ज करनी होगी। स्कूल द्वारा केवल उन्ही बच्चों की उपस्थिति दर्ज की जाएगी, जिनके द्वारा ऑनलाइन कक्षा में अध्ययन किया गया है। यदि भविष्य में किसी पालक द्वारा आॅनलाइन कक्षा नहीं लगने के बारे अवगत कराया जाना पाया गया, तो संबंधित स्कूल के खिलाफ वैधानिक कारवाई होगी।
ऐसे देना होगा फीस का ब्यौरा :
आरएसके के पत्र के अनुसार निजी स्कूलों को स्कूल द्वारा वार्षिक शुल्क दर्ज एवं स्कूल का फीस स्ट्रक्चर अपलोड करना होगा। जिसमें कक्षा नर्सरी से केजी-2 की कक्ष्ज्ञाएं भी शामिल होंगी। मप्र निजी विद्यालय फीस विनियमन क्रियान्व्यन प्रणाली में कक्षा 1 एवं अग्रिम कक्षा की शिक्षण शुल्क माड्यूल में स्कूल द्वारा जो दज्र है उसी माड्यूल से आरटीई फीस प्रतिपूर्ति माड्यूल में स्वत: ही प्रर्दशित होगी। जिसमें स्कूल द्वारा परिवर्तन नहीं किया जा सकेगा। स्कूल का फीस स्ट्रक्चर अपलोड़ करने के आप्शन में स्कूल का कक्षावार फीस स्ट्रक्चर अपलोड किया जाना अनिवार्य होगा। सत्र 2020-21 का फीस स्ट्रक्चर तथा अन्य बच्चों से ली जाने वाली प्रत्येक कक्षा की फीस की एक-एक रसीद की एक पीडीएफ फाइल बनाकर पोर्टल पर अपलोड करना होगी।
निजी स्कूलों का तर्क :
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह ने राज्य शिक्षा केंद्र के आदेश को तुगलकी फरमार बताया है। अजीत सिंह का कहना है कि कोरोना काल में जब स्कूल बंद थे, तब कक्षा पांचवी तक आॅनलाइन कक्षाएं नहीं चलाने का आदेश विभाग द्वारा दिया गया। लेकिन अब आॅनलाइन कक्षा की फोटो अपलोड करने का आदेश जारी किया जा रहा है। अगर यह आदेश आॅनलाइन कक्षा लगने से पहले जारी हो होता तो स्कूल संचालक ऐसी फोटो खींचकर अपने पास रख लेते। भांति-भांति के पेपर स्कैन कर अपलोड कराना यह किसी भी तरह से न्याय संगत नहीं है। राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा इन तमाम बेवजह के नियम बनाकर भुगतान उलझाने का काम किया जा रहा है । सिंह ने कहा कि प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन मांग करता है कि पूर्व के सभी भुगतान तुरंत किए जाएं तथा वर्ष 20-21 के लिए जो नई व्यवस्था के स्थान पर पूर्व के नियम से ही भुगतान किया जाए।
इनका कहना :
आरटीई के तहत निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए ही फीस की पूर्ति आरएसके द्वारा की जाती है। अगर बच्चे को पढ़ाया ही नहीं गया है तो फीस किस बात की दी जाए। यदि पढ़ाया गया है तो जानकारी भेजने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। जो दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, वह नियमानुसार हैं।
डॉ. रमाशंकर तिवारी
नियंत्रक आरटीई, आरएसके
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