मुख्यमंत्री शिवराज ने किसके लिए कहा- सब कुछ अद्भुत, अलौकिक, यदि वे न हाेते तो यह भारत भी न होता

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सबकुछ अदभुत है, ऐसा लग रहा है सबकुछ अलौकिक है। कुशाभाऊ ठाकरे हॉल आश्रम बन गया है। आज आचार्य भगवान शंकराचार्य महाराज का प्रगटोत्सव है। यदि वे न होते तो यह भारत भी न होता। भगवान राम ने उत्तर से दक्षिण को जोड़ा था, श्रीकृष्ण ने पूरब से पश्चिम तक भारत को जोड़ा था। आचार्य ने चारों तरफ से भारत को जोड़ दिया।
मुख्यमंत्री चौहान कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में आयोजित आचार्य शंकर प्रकटोत्सव 'एकात्म पर्व' के मौके पर बोल रहे थे। प्रकटोत्सव कार्यक्रम में कई प्रसिद्ध संत महात्मा व बड़ी संख्या में अन्य लोग शामिल हुए। उन्होंने कहा कि कुछ लोग सोचते हैं कि मुख्यमंत्री को क्या हो गया है, आमतौर पर लोगों को लगता है कि सड़क, अस्पताल बनाना ही सरकार का काम है, लेकिन आदि गुरू शंकराचार्य, जिनके कारण संस्कृति बची। वह भी सबसे ज्यादा जरूरी है। उन्होंने कहा कि भौतिकता की अग्नि में दग्ध विश्व को शांति के पथ पर एकात्ममानवतावाद ही ले जाएगा, भारतीय संस्कृति ही ले जाएगी।
आचार्य शंकर के संदेश को जन जन तक पहुंचाया जाए
मुख्यमंत्री ने कहा कि आचार्य शंकर के संदेश को जन जन तक न पहुंचा पाए तो फिर किस काम की सरकार है। सत्य को सब तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य है। गीता, उपनिषद, वेदों में एक ही बात है, एक ही चेतना सब में है, कोई भेद नहीं है। आप देखोगे तो पूरे विश्व में युद्ध की स्थति है, यूक्रेन-रूस लड़ रहे हैं, ऐसे में रास्ता एक है कि हम सब एक हैं। उन्होंने कहा कि अयं निजं परावेति का संदेश हमारे ऋषियों ने दिया है। ये तेरा है, ये मेरा है, यह सोच छोटे ह्रदय वालों की है। आत्मवत सर्व भूतेषु यह भाव यदि आ जाए तो कहां संघर्ष, कहां घृणा।
यह संदेश पूरे भारत में नहीं पहुंचाना चाहिए
मुख्यमंत्री ने कहा कि तुलसी बाबा कहते हैं सिया राम मय सब जग जानी, जिओ और जीने दो का संदेश भी यही है। इसलिए आदि गुरू ने कहा अयं ब्रह्मास्मि, क्या यह संदेश पूरे भारत में नहीं पहुंचाना चाहिए। क्या इसे भारत के जन जन के मन में नहीं पहुंचाना है। यह काम संतों का भी है, सरकार को भी पीछे से सहयोग करना चाहिए। इसलिए एकात्मधाम बन रहा है। उन्होंने कहा कि धन्य है मध्यप्रदेश की धरा,, कालड़ी से चलकर 8 वर्ष की उम्र में आए थे, ये उनकी दीक्षा भूमि है, उन्हें यहां गुरू मिले। एकात्मता का संदेश उन्होंने संपूर्ण विश्व का दिया। एकात्म यात्रा निकली, हजारों गांव-गांव में लोगों ने मिट्टी दी, संतों ने आह्वान किया, 2300 पंचायतों से मिट्टी आई।
बेटे-बेटियां अद्वैत वैदांत की शिक्षा ले रहे हैं
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भाव जग गया है। मैं देख रहा हूं कि ऐसे बेटे-बेटियां अद्वैत वैदांत की शिक्षा ले रहे हैं, ये शंकर के दूत हैं। ये अद्वैत वेदांत के संदेश को गांव-गाव में ले जाने का काम करेंगे। अलग अलग क्षेत्रों मैं ये छात्र-छात्राएं काम कर रहे हैं, इनका निकलना हमें विश्वास देता है। हमें भारत को बदलना है। संत हमारा नेतृत्व करें, हमें आशीर्वाद दें, हम सब उनके पीछे चलेंगे। प्रभु की आज्ञा से ही अद्वैत जागरण शिविर, जिससे ऐसे शंकर दूत निकलते हैं। इसलिए परिव्राजक योजना है, संत निकल पड़े, विकासखंडों में संतों की उपस्थिति ही सदविचारों को फैला देगी।
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