MP HEALTH EMPLOYEE PROTEST;नर्सिंग असोसिएशन के काम बंद हड़ताल का चौथा दिन, प्रदेशभर में स्वास्थ्य हुई ठप, स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात

MP HEALTH EMPLOYEE PROTEST;नर्सिंग असोसिएशन के काम बंद हड़ताल का चौथा दिन, प्रदेशभर में स्वास्थ्य हुई ठप, स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात
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मध्यप्रदेश में अपनी 10 सूत्री मांगों को लेकर नर्सिंग असोसिएशन का काम बंद हड़ताल का आज चौथा दिन। प्रदेशभर में चिकित्सा सेवा ठप होने की वजह से हज़ारो मरीजों को इलाज के लिए परेशान होना पड़ा रह है। बता दें कि लंबे वक़्त से अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे नर्सो ने सरकार और प्रशासन की तरफ से कई भी जवाब नहीं मिलने की वजह से 10 जुलाई से प्रदेशभर में काम बंद हड़ताल पर चाले गए हैं ।

भोपाल : मध्यप्रदेश में अपनी 10 सूत्री मांगों को लेकर नर्सिंग असोसिएशन का काम बंद हड़ताल का आज चौथा दिन। प्रदेशभर में चिकित्सा सेवा ठप होने की वजह से हज़ारो मरीजों को इलाज के लिए परेशान होना पड़ा रह है। बता दें कि लंबे वक़्त से अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे नर्सो ने सरकार और प्रशासन की तरफ से कई भी जवाब नहीं मिलने की वजह से 10 जुलाई से प्रदेशभर में काम बंद हड़ताल पर चाले गए हैं । जिसकी वजह से प्रदेशभर के 60 हजार से ज्यादा नर्सिंग कर्मचारी ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

स्वास्थ्य मंत्री से हड़ताल कर्मियों से की मुलाकात

बता दें कि हड़ताल की वजह से भोपाल के काटजू अस्पतालों का आलम यह रहा कि प्रसुताओं को विभिन्न जांचों के लिए काफी देर तक इंतजार करना पड़ रहा है, उनकी बीपी शुगर समेत अन्य जांच नहीं हो हो पा रही है। जानकारी के अनुसार प्रदर्शन कर्मियों में अपनी मांगों को लेकर स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात की। लेकिन अभी तक कोई भी जवाब सामने नहीं आया।

स्वास्थ्य सेवा रही ठप

इतना ही नहीं, जेपी अस्पताल के वार्डों में कर्मचारियों की कमी के कारण खून चढ़ाने, इंजेक्शन लगाने जैसे काम भी प्रभावित हुए। जेपी अस्पताल में 165 स्टाफ नर्स नियमित हैं, जो हड़ताल के समर्थन में हैं। जबकि 35 संविदा स्टाफ नर्स हैं, इनमें भी करीब 10 स्टाफ नर्स अवकाश पर चल रहीं हैं। ऐसा ही हाल काटजू अस्पताल का भी रहा। इस हड़ताल की वजह से अस्पतालों की हालत बिगड़ती ही जा रही है। इलाज नहीं मिलने की वजह से प्रदेशभर में बच्चे, बूढ़े सहित गर्भवती महिलाओं को भी इलाज के लिए परेशान है।

ये है प्रमुख मांगे-

-नर्सिंग संवर्ग के वेतन विसंगति को दूर किया जाए।

-रात्रिकालीन आकस्मिक चिकित्सा भत्ता डॉक्टरों को 500 दिया जा रहा। नर्सों को भी 300 रूपए दिया जाए।

-भर्ती नियमों में संशोधन हो, संसोधन करते समय एसोसिएशन के प्रतिनिधियों का सुझाव लिया जाए।

-ग्वालियर व रीवा मेडिकल कॉलेज की भांति नर्सिंग ऑफिसर को तीन व चार पेंशन वृद्धि दी जाए।

-नर्सिंग स्टूडेन्ट स्टायपेंड 8000 किया जाए। नर्सिग ट्यूटर के पद सृजित किए जाए।

-स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग अन्तर्गत संचालनालय स्तर पर सहायक संचालक का पद सृजित है जो नर्सिंग संवर्ग का है।

-वर्तमान में अन्य कैडर से कार्य कराया जा रहा है जो अनुचित है। सहायक संचालक के पद पर नर्सिंग से ही कार्य कराया जाए।

-प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ जनवरी 2016 से दिया जाए।

-मानदेय नियम को निरस्त कर पूर्व की भांति यथावत रखा जाए और पुरानी पेंशन (ओपीएस) पूर्व की भांति लागू की जाए।


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